फसलों में कीट प्रबंधन को लेकर40प्रतिभागियों को दी गई डीएईएसआई प्रशिक्षण
जिले में हरनौत स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में 40 युवक-युवतियों को एक वर्षीय डीएईएसआई प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी दी गई।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य इनपुट डीलरों को कृषि संबंधी व्यावसायिक प्रशिक्षण देना है। इस मौके परवरिष्ठ वैज्ञानिक सह केंद्र प्रमुख डॉ सीमा कुमारी ने जानकारी दी कि यह डीएईएसआई कार्यक्रम भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त है। प्रशिक्षण समन्वयक डॉयू एन उमेश (वैज्ञानिक, मृदा विज्ञान) ने बताया कि यह डिप्लोमा कोर्स राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), हैदराबाद द्वारा संचालित किया जाता है तथा इसे बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान (बामेती), पटना के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण गैर-कृषि स्नातकों को इनपुट डीलर के रूप में प्रशिक्षित कर कृषि क्षेत्र से जोड़ने के उद्देश्य से संचालित है। प्रशिक्षण शुल्क के रूप में नए प्रशिक्षुओं से 28,000 तथा नवीकरण वाले प्रशिक्षुओं से 14,000 शुल्क लिया जाता है। प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूर्ण करने के उपरांत प्रशिक्षु जिला कृषि कार्यालय से लाइसेंस प्राप्त कर खाद बीज और कीटनाशक जैसे कृषि इनपुट का व्यवसाय कर सकते हैं। प्रशिक्षण सप्ताह में दो सत्रों में आयोजित किया जाता है। इसी क्रम मेंप्रथम सत्र में केवीके जहानाबाद के एग्रोनॉमी वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार ने फसलों में समेकित खरपतवार प्रबंधन के विषय पर विस्तृत जानकारी दी ।
द्वितीय सत्र में उद्यान विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक कुमारी विभा रानी ने फसलों के उत्पादन में आधुनिक तकनीकों पर व्याख्यान दिया है।यह प्रशिक्षण न केवल युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का माध्यम बनेगा बल्कि कृषि क्षेत्र में तकनीकी दक्षता और वैज्ञानिक सोच को भी अग्रसर करेगा।