देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी क्षेत्र की 1000 महिलाओं ने अपने दृढ़ संकल्प और मेहनत से यमुना वैली को विश्व की प्रथम आयुर्वेदिक घाटी के रूप में विकसित कर नया इतिहास रच दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से परेड मैदान में आयोजित विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एक्सपो—2024 में आत्मनिर्भर परियोजना का एक विशेष स्टाल प्रदर्शित किया गया, जो इन महिलाओं की उपलब्धियों और यमुना वैली के औषधीय महत्व को दर्शाता है।

तीन जलवायवीय क्षेत्रों में औषधीय खेती

आत्मनिर्भर परियोजना के तहत 29 गांवों की ये महिलाएं 62 प्रकार के औषधीय उत्पादों की खेती कर रही हैं। मकोए, आर्चू, एलोवेरा, आंवला, अपामार्ग, अश्वगंधा और ब्राम्ही जैसी दुर्लभ औषधियां इन महिलाओं द्वारा अलग-अलग जलवायवीय परिस्थितियों में उगाई जा रही हैं। इनकी गुणवत्ता इतनी उच्च है कि ये आयुर्वेद के क्षेत्र में विशेष पहचान बना रही हैं।

आर्गेनिक खेती का भी प्रदर्शन

महिलाओं ने औषधीय खेती के साथ आर्गेनिक खेती में भी उल्लेखनीय कार्य किया है। बीन्स, मटर, टमाटर और पत्ता गोभी जैसी फसलें बिना रासायनिक खाद के उगाकर स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्यवर्धक विकल्प प्रदान किए जा रहे हैं।

यमुना शुद्धिकरण के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता

आत्मनिर्भर परियोजना के संचालक रंजीत पाठक, जो यमुना नदी की शुद्धता के लिए लंबे समय से प्रयासरत हैं, का मानना है कि पर्वतीय क्षेत्रों के लोग तभी नदी शुद्धिकरण में सहयोग करेंगे जब उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो। इस परियोजना के माध्यम से इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर यह लक्ष्य प्राप्त किया जा रहा है।

प्राकृतिक संसाधनों का संवेदनशील दोहन

रंजीत पाठक ने बताया कि प्रकृति हमें सबकुछ देती है, बशर्ते हम उसे सही तरीके से दोहन करें। ये महिलाएं न केवल अपनी आजीविका सुधार रही हैं, बल्कि आयुर्वेद और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दे रही हैं।

आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान

परेड मैदान पर लगी यह प्रदर्शनी न केवल उत्तरकाशी के औषधीय और कृषि उत्पादों का प्रदर्शन कर रही है, बल्कि आयुर्वेद और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक नई राह खोल रही है। इस पहल से आने वाली पीढ़ियों को लाभ होगा, जो प्राकृतिक चिकित्सा और जैविक खेती के क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात करेगा।

मुख्य आकर्षण

आयुर्वेदिक औषधियों और आर्गेनिक खेती का यह संयोजन उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसकी अलग पहचान बना रहा है। यह प्रदर्शनी आत्मनिर्भरता और पर्यावरणीय संतुलन का एक प्रेरणादायक उदाहरण है।

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