जन सुराज से आर. के. मिश्रा बनाम संभावित चुनौती – जातीय समीकरण, मुस्लिम वोट और चुनावी विश्लेषण
दरभंगा, । बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दरभंगा शहरी विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधि इस बार पहले से कहीं अधिक गरमाई हुई है। जन सुराज पार्टी ने इस क्षेत्र से पूर्व आईपीएस अधिकारी आर. के. मिश्रा को उम्मीदवार घोषित किया है। मिश्रा की ब्राह्मण जाति, साफ-सुथरी प्रशासनिक छवि और लंबा अनुभव उन्हें इस चुनाव में प्रभावशाली विकल्प बनाता है।
आर. के. मिश्रा का करियर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में 1986 बैच से शुरू हुआ। उन्होंने बिहार होमगार्ड एवं फायर सर्विसेज के निदेशक जनरल (DG) के रूप में कार्य किया और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएँ दीं। इसके अलावा, सीबीआई और सीआरपीएफ में अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) के रूप में उनकी जिम्मेदारी और कार्यक्षमता उनके प्रशासनिक कौशल को स्पष्ट करती है। उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें 2003 में पुलिस मेडल और 2009 में राष्ट्रपति पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया। शिक्षा की दृष्टि से, उन्होंने IIT और BHU से सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की है और एमबीए के माध्यम से प्रबंधन कौशल भी हासिल किया है।
जातीय आंकड़े और चुनावी समीकरण इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। दरभंगा शहरी विधानसभा क्षेत्र में अनुमानित जातीय संरचना के अनुसार, ब्राह्मण समाज लगभग 12-15% की हिस्सेदारी रखता है। मुस्लिम समुदाय लगभग 20-22%, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) लगभग 35-36%, अनुसूचित जाति (SC) लगभग 15% और सामान्य श्रेणी (General) लगभग 12-13% है। इस आधार पर ब्राह्मण समाज की भूमिका इस बार निर्णायक हो सकती है, जिससे आर. के. मिश्रा को समर्थन मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
हालांकि, राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि एनडीए/भाजपा ने अभी तक संजय सरावगी को उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पार्टी ब्राह्मण समाज से समर्थन पाने के लिए इस बार किसी ब्राह्मण चेहरे को मैदान में उतार सकती है। वहीं, इंडी गठबंधन और AIMIM के गठबंधन के कारण मुस्लिम वोट बंट सकते हैं, जिससे मुस्लिम मतों का प्रभाव आर. के. मिश्रा की चुनौती कम करने में मदद कर सकता है। इस परिस्थिति में उनकी चुनावी संभावना और मजबूत दिख रही है।
संजय सरावगी पर स्थानीय आलोचना भी मौजूद है। विरोधियों का कहना है कि विकास कार्यों की गति अपेक्षित नहीं रही और बुनियादी सुविधाओं में जनता की अपेक्षाएं पूरी नहीं हुईं। आलोचक यह भी कहते हैं कि उनकी जीत मुख्यतः पार्टी संगठन और चुनावी संसाधनों पर आधारित रही, न कि व्यक्तिगत उपलब्धियों पर।
इस बार दरभंगा शहरी में जातीय समीकरण, मुस्लिम वोट के बंटवारे, प्रशासनिक छवि और विकास कार्यों की पकड़ निर्णायक साबित हो सकती है। आर. के. मिश्रा की प्रशासनिक योग्यता, साफ-सुथरी छवि, ब्राह्मण समुदाय से संभावित समर्थन और मुस्लिम वोट के बंटवारे के कारण उन्हें इस चुनाव में मजबूत और भरोसेमंद उम्मीदवार माना जा रहा है। यदि मिश्रा अपने विकासवादी एजेंडे और ईमानदार नेतृत्व को जनता तक प्रभावी ढंग से पहुंचा पाते हैं, तो वे इस चुनाव में एनडीए या संजय सरावगी के लिए कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं और दरभंगा शहरी में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।