शीतकालीन धामों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, पंचमुखी मूर्ति के दर्शन कर धन्य हो रहे भक्त
उमड़ी श्रद्धाज्योतिर्मठ/पांडुकेश्वर/उखीमठ,। उत्तराखंड की बर्फीली वादियों में देवताओं की शीतकालीन
यात्रा ने तीर्थयात्रियों के दिलों में नई ऊर्जा और उत्साह भर दिया है। गत
आठ दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा श्रीकेदारनाथ धाम के
शीतकालीन गद्दीस्थल श्रीओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से चारधाम शीतकालीन यात्रा
का शुभारंभ होते ही श्रद्धालुओं का सैलाब पूजा स्थलों की ओर उमड़ पड़ा
है।इस बार की यात्रा में श्रद्धालुओं की सबसे बड़ी आकर्षण है भगवान
केदारनाथ की पंचमुखी मूर्ति और शीतकालीन गद्दीस्थलों पर चल रही दिव्य
आराधना। ठंडी हवाओं और बर्फ की चादर के बीच भक्त भगवान केदारनाथ और
बदरीविशाल के दर्शन कर खुद को धन्य महसूस कर रहे हैं। श्रीकेदारनाथ के कपाट
बंद होने के बाद पंचमुखी डोली जब श्री ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ पहुंचती
है, तो मानो पूरी घाटी आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठती है। यहां न केवल
केदारनाथ, बल्कि द्वितीय केदार श्रीमद्महेश्वर जी की डोली भी भक्तों को
दर्शन देती है। मंदिर में हो रही शीतकालीन पूजाएं और वेद मंत्रों की ध्वनि
यात्रियों को एक अलौकिक अनुभव देती है।उधर, श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट बंद
होने के बाद भगवान बदरीविशाल की शीतकालीन पूजा योग बदरी पांडुकेश्वर और
श्री नृसिंह मंदिर, जोशीमठ में संपन्न हो रही है। श्रद्धालुओं का कहना है
कि बर्फ की चादर में लिपटे इन मंदिरों में दर्शन करना किसी चमत्कार से कम
नहीं।
तीर्थयात्रियों में बढ़ता क्रेज, हजारों ने लिया
पुण्यलाभमुख्य कार्याधिकारी विजय थपलियाल के मुताबिक अब तक 3,000 से अधिक
श्रद्धालु इन शीतकालीन धामों पर पूजा-अर्चना कर चुके हैं। इनमें से 2,230
श्रद्धालु श्री ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ पहुंचे, जबकि 1,069 भक्त श्री
नृसिंह मंदिर, जोशीमठ और 65 तीर्थयात्री योग बदरी पांडुकेश्वर में दर्शन कर
चुके हैं।श्रद्धालु दीपक शर्मा जो दिल्ली से पहली बार शीतकालीन यात्रा पर
आए हैं, कहते हैं कि हमने सिर्फ गर्मियों में बदरीनाथ-केदारनाथ की यात्रा
के बारे में सुना था। लेकिन बर्फ से घिरे इन शीतकालीन स्थलों में पूजा करने
का जो अनुभव है, वो अविस्मरणीय है। भगवान के पंचमुखी स्वरूप के दर्शन ने
हमारी यात्रा को सार्थक कर दिया।
देवभूमि में सर्दियों का नया
पर्यटन आकर्षणमुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर मंदिर समिति ने इस
बार शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। शीतकालीन
यात्रा अब सिर्फ धार्मिक महत्व तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह पर्यटकों
को भी उत्तराखंड की ओर खींच रही है।मंदिरों में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी
प्रधान पुजारी शिवशंकर लिंग और अन्य पुजारियों के कंधों पर है, जो वेद
मंत्रों और पारंपरिक रीति-रिवाजों से यात्रियों का आध्यात्मिक अनुभव और भी
दिव्य बना रहे हैं।
तीर्थयात्रियों के लिए मंदिर समिति का
संदेशमुख्य कार्याधिकारी विजय थपलियाल ने तीर्थयात्रियों से आग्रह किया है
कि शीतकालीन पूजा स्थलों पर अधिक से अधिक संख्या में पहुंचें और भगवान
बदरीविशाल और केदारनाथ के दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।