अमूल डेयरी के पशुपालकों ने किया 16,000 किलो शहद का उत्पादन - ‘मिशन मधुमक्खी’ कार्यक्रम के तहत श्वेत क्रांति के बाद मधु क्रांति की बड़ी पहल
अहमदाबाद,। गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन
में किसानों को मधुमक्खी पालन जोड़ने और इसके जरिए उनकी आय में वृद्धि
सुनिश्चित करने के लिए अनेक योजनाएं क्रियान्वित की गई हैं। ‘मिशन
मधुमक्खी’ कार्यक्रम में एक बड़ी पहल है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत अमूल
डेयरी के पशुपालकों ने 16,000 किलो शहद का उत्पादन किया है, जो इस योजना की
उल्लेखनीय सफलता को दर्शाता है।
‘मिशन मधुमक्खी’ कार्यक्रम को
खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ, आणंद (अमूल डेयरी) के माध्यम से
कार्यान्वित किया गया है। इस प्रोजेक्ट से श्वेत क्रांति के बाद मधु
क्रांति की दिशा में एक बड़ी पहल की गई है। अमूल डेयरी ने इस वर्ष की
शुरुआत में प्रति लाभार्थी 10,000 रुपये के योगदान के साथ आणंद, खेड़ा और
महिसागर जिले के 284 सभासद पशुपालक किसानों को मधुमक्खी पालन के इस
प्रोजेक्ट में शामिल किया। डेयरी की ओर से प्रत्येक सभासद को मधुमक्खी के
10 बॉक्स और 5 सभासदों के बीच एक हनी एक्सट्रैक्टर भी दिया गया। इन 284
पशुपालकों ने अब तक लगभग 16,000 किलो शहद का रिकॉर्ड उत्पादन कर प्रोजेक्ट
की सफलता का एक नया अध्याय लिखा है।
अमूल डेयरी की प्रोसेसिंग और
पैकिंग इकाई ने इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत अब तक करीब 2 टन शहद की प्रोसेसिंग
की है। इतना ही नहीं, ये सभासद पशुपालक अमूल के अलावा सीधे बिक्री के
माध्यम से भी आय अर्जित कर रहे हैं। खास बात यह है कि इन सभासदों ने पहले
ही वर्ष के दौरान मधुमक्खी पालन के लिए योगदान के रूप में निवेश की गई
पूंजी का लगभग 75 फीसदी वापस पा लिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी ‘मन की बात’ में मीठी क्रांति का उल्लेख कर चुके हैं, जो मधुमक्खी
पालन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की एक बड़ी पहल है।
उल्लेखनीय
है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के अधिक से अधिक किसानों से
मधुमक्खी पालन से जुड़ने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री के इस आह्वान को
गुजरात ने हाथों हाथ लिया है। मधुमक्खी पालन शुरू करने के लिए मधुमक्खी
समूह कॉलोनी तथा मधुमक्खी बॉक्स और हनी एक्सट्रैक्टर की जरूरत पड़ती है। आम
तौर पर दस मधुमक्खी समूह कॉलोनी और बॉक्स तथा एक हनी एक्सट्रैक्टर के लिए
लगभग 60 से 70 हजार रुपये तक की लागत आती है। मधुमक्खी से शहद के अलावा
मोम, राज अवलेह (रॉयल जेली), मधुमक्खी विष और गोंद का उत्पादन करने से अधिक
मुनाफा कमाया जा सकता है।
मधुमक्खी पालन से ग्रामीण क्षेत्रों में
स्वरोजगार के अपार अवसर पैदा हुए हैं। किसानों को खेती के साथ ही अतिरिक्त
आय का स्रोत मिला है, ऐसे में उनकी आय को दोगुना करने का प्रधानमंत्री का
संकल्प पूरा हो रहा है। इतना ही नहीं, मधुमक्खियों की विभिन्न फसलों के
परागण से फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती है और फलों एवं बीजों की
गुणवत्ता में सुधार होता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि मधुमक्खी पालन का
पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
‘मिशन मधुमक्खी’ कार्यक्रम के लिए पात्रता
राज्य
की चारों कृषि यूनिवर्सिटी, कृषक विज्ञान केंद्र, बागवानी विभाग तथा
पंजीकृत किसान समूह, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), किसान उत्पादक कंपनी
(एफपीसी), ‘ए’ ग्रेड की सहकारी संस्थाएं, सहकारी डेयरी और जिला दुग्ध
सहकारी संघ इस कार्यक्रम का लाभ उठा सकते हैं।
कार्यक्रम के तहत देय सहायता
गुजरात
सरकार के अनुसार कार्यक्रम के अंतर्गत पात्र लाभार्थी समूह, संगठन या
संस्थाओं को मधुमक्खी पालन के लिए बॉक्स, आधुनिक तरीके से छत्ते से शहद
निकालने के लिए हनी एक्सट्रैक्टर यंत्र, फूड ग्रेड कंटेनर एवं अन्य उपकरणों
के अलावा प्रसंस्करण, पैकेजिंग, कोल्ड रूम, मधुमक्खी प्रजनन, न्यूक्लियस
कल्चर और मधुमक्खी क्लीनिक तैयार करने के लिए निर्धारित मापदंडों के अनुसार
सहायता दी जाती है।
‘मिशन मधुमक्खी’ कार्यक्रम के अंतर्गत 2022-23
में जूनागढ़ कृषि यूनिवर्सिटी को मधुमक्खी प्रजनन और क्लीनिक प्रोजेक्ट के
लिए 53 लाख रुपये की सहायता दी गई है। वहीं, 2024-25 में अमूल डेयरी के
प्रोजेक्ट को 127.43 लाख रुपये की सहायता प्रदान की गई है।