बलिया के सत्तू को अब मिलेगी पहचान, ओडीओपी में शामिल
बलिया,। बलिया का प्रसिद्ध सत्तू उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा
चलाए जा रहे ‘एक जनपद एक उत्पाद’ (ओडीओपी) योजना के अंतर्गत चयनित किया गया
है। इस निर्णय से बलिया की पारंपरिक और स्थानीय पहचान राष्ट्रीय और
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निखरेगी। इससे स्थानीय कारीगरों, किसानों एवं
उद्यमियों को सीधा लाभ मिलेगा।
सत्तू, जो मुख्य रूप से चने से बनाया
जाता है, बलिया में वर्षों से पोषक और सुलभ आहार के रूप में प्रचलित है।
यहां बने सत्तू को देश-विदेश में लोग खूब पसंद करते हैं। एक तरह से बलिया
और सत्तू दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। हालांकि, एक जिला एक उत्पाद के रूप
में बिंदी का चयन किया गया था जो मुख्य रूप से एक कस्बे तक सिमटी है। अब इस
महत्वाकांक्षी योजना में सत्तू को चयनित किए जाने से रोजगार को बढ़ावा
मिलेगा, क्योंकि प्रायः हर गांव में सत्तू का उत्पादन छोटे-बड़े पैमाने पर
किया जाता है।
युवा व्यवसायी सौरभ अग्रवाल ने तो बाकायदा इसे बड़े
पैमाने पर शुरू किया है। जो गांव-गांव से भुने देसी चने मंगवा कर उसकी
पिसाई के बाद पैकेजिंग करते हैं। उनका बनाया सत्तू अभी हाल ही में
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में जिले की तरफ से प्रदर्शित किया गया था।
बलिया के सत्तू को पौराणिक काल से मान्यता है। इस पर काफी शोध कर चुके
मुख्य विकास अधिकारी ओजस्वी राज ने बताया कि बलिया में बने सत्तू के
स्वास्थ्यवर्धक गुणों और व्यापक उपयोग को देखते हुए इसे ओडीओपी के रूप में
मान्यता दी गई है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के पीछे जनपद
बलिया के जिलाधिकारी की विशेष भूमिका रही है। उनके सतत प्रयास, दूरदृष्टि
और प्रभावी नेतृत्व में जनपद स्तर पर सत्तू के महत्व को उजागर किया गया।
जिलाधिकारी द्वारा स्थानीय उत्पादों के संभावनाओं का मूल्यांकन कर संबंधित
विभागों के साथ समन्वय स्थापित किया गया, जिससे राज्य स्तर पर सत्तू को
ओडीओपी के रूप में मान्यता दिलवाना संभव हो पाया है।
सीडीओ ने कहा
कि इस योजना के तहत सरकार द्वारा प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता, तकनीकी सहयोग
एवं बाज़ार उपलब्ध कराने की सुविधाएँ दी जाएंगी, जिससे बलिया के उद्यमियों
को आत्मनिर्भर बनने में सहयोग मिलेगा। यह कदम बलिया के आर्थिक विकास की
दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।