स्मृति कल्प के माध्यम से मालती जोशी का स्मरण, वे भारत के आम घर की कथाकार थीं
इंदौर,। मालती जोशी, एक ऐसी कथाकार, कहानीकार और कविताकार जिनके बिम्ब आम जनमानस के उस लोक से होते हैं, जो असली भारत का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें ज्ञान है, परम्परा है, सम्मान है, सरलता, सहजता और सरसता है। आम बोलचाल की भाषा, कथानक में कभी कोई अप्रिय संवाद नहीं, जीवन के किरदार उतने ही वास्तविक जितने की प्राय: भारत के आम घरों में होते हैं, वह कहानियां जिन्हें बच्चे और बूड़े कहीं भी कभी भी पढ़ सकते हैं।
दरअसल, पिछले दिनों मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी केंद्र इंदौर में ऐसी महान साहित्यकार मालती जोशी का स्मरण 'स्मृति कल्प' आयोजन के माध्यम से किया गया। 4 जून को मालती जी का 91 वाँ जन्मदिन था और इंदौर शहर से उन्हें विशेष लगाव था। मालती जी का निधन गत वर्ष नब्बे वर्ष की आयु में हुआ था। कार्यक्रम की रूपरेखा मालती जी के छोटे सुपुत्र डॉ. सच्चिदानंद जोशी जो इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव और जाने माने साहित्यकार हैं, उन्होंने बनाई और उसे मूर्तरूप दिया जोशी परिवार और इंदौर के साहित्यकार, रंग कर्मी और मित्रपरिवार ने।
इस आयोजन में उनके परिवार से लेकर उनके पाठक, मित्र, रिश्तेदारों समेत उनके समकालीन साहित्यकारों ने अपने संस्मरण से उन्हें याद किया और अपनी भावपूर्ण श्रद्धाजंलि दी। इस खास अवसर पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, साहित्यकार सूर्यकांत नागर, सरोज कुमार, ऋषिकेश जोशी और चंद्रशेखर दिघे समेत उन्हें हृदय से प्रेम करनेवाले अनेक लोग मौजूद थे। पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि भले ही वे घरेलू कहानियां लिखतीं थी, लेकिन एक घरेलू महिला ही वह महिला होती है जो पूरी दुनिया को जानती है। वास्वत में घर परिवार और रिश्तों के तानों-बानों से सजी उनकी घरेलू कहानियां कहने को तो घरेलू थीं, लेकिन उन कहानियों की छाप देश और समाज के हर तबके पर पड़ी। जिसने भी उन्हें पढ़ा वह उनकी लेखनी का हो गया। यही कारण है कि घर घर की कहानी लिखने वाली मालती जोशी को मालवा की मीरा कहा जाता था। हालांकि उनकी ख्याति मालवा तक सीमित नहीं थी, वह देशभर में थी।
इस अवसर पर साहित्यकार सूर्यकांत नागर ने अपने संस्मरण साझा किए और मालती जोशी की कहानियों के अंश सुनाए। कवि सरोज कुमार ने मालती जोशी के साथ अपने संस्मरण साझा किए। ऋषिकेश जोशी, चंद्र शेखर दिघे और संजय पटेल ने भी अपने मालती जोशी के साथ अपने संस्मरण सुनाए और उनकी कहानियों का पाठ किया। तीन प्रतिष्ठित साहित्यकारों में अनीता सक्सेना, अनीता सिंह और संजय पटेल ने मालती जी की कथाओं का पाठ कर उनके “कथाकथन” की परंपरा को आगे बढ़ाया। इसके साथ ही ख्यातनाम रंगकर्मी श्रीराम जोग के निर्देशन में नाट्य भारती इंदौर के कलाकारों ने उनकी दो कथाओं का मंचन किया जो श्रोताओं के लिए अनूठा अनुभव था।
तीन प्रतिष्ठित साहित्यकारों, कलाकारों संतोष मोहंती, अर्चना मंडलोई और मिलिंद देशपांडे ने मालती जी की कथाओं का “कथाकथन” किया। वहीं, ख्यातनाम रंगकर्मी और फिल्म कालाकांकर विवेक सावरीकर के निर्देशन में रंग मोहिनी भोपाल के कलाकारों ने भी मालती जी के दो कथाओं का मंचन किया। यह भी एकदम अलग तरह की प्रस्तुति थी। इसके अलावा ख्यातिलब्ध अभिनेता ज्योति सावरीकर ने अपने अभिनय से मालती को सजीव कर दिया। मालती जी की कविताओं का सुरीला गायन तन्वी जोशी ने किया। दुष्यंत जोशी ने मालती जी के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें उनके सादगी भरे जीवन की बानगी प्रस्तुत की गई थी। आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक और मीडिया गुरु के रूप में विख्यात प्रो. संजय द्विवेदी, वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक निर्मला भुराड़िया और कथाकार ज्योति जैन की उपस्थिति ने भी इस कार्यक्रम को ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
उल्लेखनीय है कि 'स्मृति कल्प' के जरिये हिंदी भाषा की इस बेहद सहज और सरल लेखिका को दो दिवस उनके 91वें जन्मदिवस के मौके पर बेहद आत्मीयता और सादगीपूर्ण तरीके से उनके परिवार और उनके चाहने वालों ने याद किया। इस कार्यक्रम का आयोजन मालती जोशी के सुपुत्रों ऋषिकेश और सच्चिदानंद द्वारा किया गया था। आयोजन के दौरान सचिदानंद के बेटे ने घोषणा की कि उनकी ताई की स्मृतियों को जिंदा रखने और उनके साहित्यिक अवदान को याद करने के लिए सोमनाथ मालती जोशी ट्रस्ट की स्थापना की गई है। इस ट्रस्ट के माध्यम से साहित्य और समाजिक गतिविधियां संचालित की जाएगी और नए लेखक साहित्यकारों का मार्गदर्शन किया जाएगा।