गांधीनगर। देश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को बिना किसी अवरोध के संस्थागत ऋण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 8 अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पीएम मुद्रा योजना घोषित की गई थी, जिसे 8 अप्रेल को 10 वर्ष पूरे हुए हैं। इस योजना का उद्देश्य छोटे व्यापारियों, नए स्टार्टअप्स तथा देश के युवाओं को उनके व्यवसाय के लिए ऋण प्रदान करना है। गुजरात में इस योजना का व्यापक रूप से क्रियान्वयन किया गया है और वर्ष 2020-21 से 2024-25 (नवंबर 2024 तक) के दौरान कुल 70051 करोड़ रुपये के ऋण प्रदान किए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने मंगलवार को पीएम मुद्रा योजना के लाभार्थियों के साथ एक संवाद में कहा कि पिछले दस वर्षों में मुद्रा योजना अंतर्गत 33 लाख करोड़ रुपये से अधिक के गारंटी-मुक्त ऋण मंजूर किए गए हैं तथा सामाजिक समावेश एवं आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है। इस योजना की सफलता आँकड़ों से स्पष्ट होती है। गुजरात सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार गुजरात में इस योजना अंतर्गत वर्ष 2020-21 में 1.42 करोड़ खाते खोले गए थे, जिनकी संख्या वर्ष 2023-24 में बढ़कर 1.95 करोड़ तक पहुँची है तथा वर्ष 2024-25 के लिए नवंबर-2024 तक 80.5 लाख खाते खोले गए हैं। पीएम मुद्रा योजना अंतर्गत गुजरात में वर्ष 2020-21 में 11,239 करोड़ रुपये के ऋण मंजूर किए गए थे। यह ऋण राशि वर्ष 2023-24 में बढ़कर 19,607 करोड़ रुपये हो गई है। इस प्रकार; चार वर्षों में ऋण आवंटन की राशि में 74 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2024-25 के लिए नवंबर-2024 तक 9,708 करोड़ रुपये के ऋण दिए गए हैं।

-देश में 11.10 करोड़ से अधिक नौकरियों का सृजन

पीएम मुद्रा योजना के देश में हुए प्रभाव के मूल्यांकन से जुड़ी नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पीएम मुद्रा योजना शुरू होने के बाद दस वर्षों की समयावधि में देश में कुल 11.10 करोड़ से अधिक नौकरियों का सृजन हुआ है। इनमें से 47 प्रतिशत नौकरियों का लाभ अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज के नागरिकों को हुआ है। अधिकांश नौकरियों का सृजन उत्पाद, व्यापार एवं सेवा क्षेत्र में हुआ है।

क्या है पीएम मुद्रा योजना

देश के नागरिकों को अपने व्यवसाय के लिए किसी भी प्रकार की गारंटी के बिना सरलता से ऋण मुहैया कराने के उद्देश्य से अप्रैल-2015 में पीएम मुद्रा योजना शुरू की गई थी। इस योजना अंतर्गत लाभार्थियों को बैंक व वित्तीय संस्थानों के माध्यम से तीन श्रेणियों में ऋण प्रदान किया जाता है। इनमें शिशु श्रेणी में 50 हजार रुपए, किशोर श्रेणी में 50 हजार से 5 लाख रुपए, तरुण श्रेणी में 5 लाख से 10 लाख रुपए तथा तरुण प्लस श्रेणी में 10 लाख से 20 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान किया जाता है। गुजरात में बड़ी संख्या में छोटे व्यापारियों तथा स्टार्टअप ने इस योजना का लाभ लेकर आत्मनिर्भरता प्राप्त की है।

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