एसआईआर अभियान में नई चुनौती : पूर्व एन्क्लेव क्षेत्रों की 450 महिलाओं के मतदाता सूची से छूटने की आशंका
पश्चिम
बंगाल में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के बीच एक नई
जटिलता सामने आई है। कूचबिहार जिले के पूर्व एन्क्लेव क्षेत्रों के
निवासियों ने जिला प्रशासन को लगभग 450 महिलाओं की सूची सौंपी है, जिन्हें
आशंका है कि वे आगामी नौौ दिसम्बर को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता
सूची से बाहर रह सकती हैं।
चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि ये
महिलाएं उन 51 बांग्लादेशी एन्क्लेवों की पूर्व निवासी हैं, जिन्हें अगस्त
2015 में भारत में शामिल किया गया था। हालांकि, इन महिलाओं की गिनती उस समय
नहीं की गई थी क्योंकि 2015 से पहले वे विवाह के बाद ससुराल चली गई थीं और
देश के विभिन्न हिस्सों में रह रही हैं।
चुनाव आयोग ने मौखिक रूप
से आश्वासन दिया था कि ऐसे एन्क्लेव निवासी, जो वर्ष 2002 की मतदाता सूची
में शामिल नहीं थे — जो कि एसआईआर 2026 का आधार है — उन्हें 2015 की जनगणना
के आधार पर नई मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा। लेकिन स्थानीय निवासियों
को आशंका है कि एन्क्लेवों से बाहर रह रहीं विवाहित महिलाएं मताधिकार से
वंचित हो सकती हैं।
गौरतलब है कि भारत-बांग्लादेश के बीच 1974 में
हुए भूमि सीमा समझौते (लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट) के तहत एन्क्लेवों की
अदला-बदली की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में दो संयुक्त सर्वेक्षण किए गए
थे — पहला वर्ष 2011 में और दूसरा 2015 में। आधिकारिक अभिलेखों के अनुसार,
भारतीय सीमा के भीतर स्थित बांग्लादेशी एन्क्लेवों के 15 हजार 856
निवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई थी, जबकि बांग्लादेश में स्थित
भारतीय एन्क्लेवों के 921 निवासी भारत में स्थानांतरित हुए थे।
मध्या
मशालडांगा के निवासी और पूर्व एन्क्लेववासी जयनाल अबेदीन ने बताया, “हमने
लगभग 450 महिलाओं की सूची तैयार की है, जो 2015 से पहले विवाह कर अपने
ससुराल चली गई थीं और वर्तमान में एन्क्लेव क्षेत्रों से बाहर रह रही हैं।
ये नाम चार एन्क्लेवों — मध्या मशालडांगा, दक्षिण मशालडांगा, पौतूरकुठी और
काचुआ — से मिले हैं। बाकी एन्क्लेवों की सूची भी तैयार की जा रही है।”
अबेदीन
ने बताया, “हमें एक एडीएम ने आश्वासन दिया है कि हमारी चिंताओं पर पूरी
गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी। हमने उन्हें उन महिलाओं की पहली सूची सौंप
दी है, जो आयोग की नज़र से संभवतः छूट सकती हैं।”
इस विषय पर पश्चिम
बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल ने कहा, “2015 से पहले
विवाह कर एन्क्लेव क्षेत्रों से बाहर चली गई महिलाओं के मामले को जिले के
निर्वाचक पंजीकरण पदाधिकारी (ईआरओ) अलग से देखेंगे। आयोग के दिशा-निर्देशों
के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। किसी को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है —
आयोग हर स्तर पर सहयोग करेगा।”















