शिमला के रोहड़ू में बकरे की बलि पर एफआईआर दर्ज
शिमला। शिमला जिले के रोहड़ू क्षेत्र में पशु बलि की घटना
सामने आई है, जहां पर एक बकरे की बलि दी गई। यह मामला अब पुलिस के पास
पहुंच गया है और एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और
आरोपियों की पहचान करने का प्रयास कर रही है।
पुलिस से मिली जानकारी
के अनुसार रोहड़ू के एक गांव में कुछ व्यक्तियों ने एक बकरे की बलि दी। अभी
यह पूरी तरह साफ नहीं हुआ है कि बलि की यह घटना एक धार्मिक अवसर पर आयोजित
की गई थी या इसके पीछे कोई और मकसद था। बलि के इस मामले का एक स्थानीय
निवासी ने विरोध जताया और इसे अमानवीय करार देते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज
करवाई।
दरअसल हिमाचल प्रदेश में धार्मिक अनुष्ठान के नाम पर पशुओं
की सार्वजनिक बलि पर पिछले एक दशक से पूर्ण प्रतिबंध है। बावजूद इसके पशु
बली की घटना हुई है।
रोहड़ू के टिक्कर निवासी सुरेन्द्र पापटा ने
पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि 11 दिसम्बर को रोहड़ू बाजार में शिखडीपुल
के पास सार्वजनिक स्थान पर एक बकरे की बलि दी गई। उन्होंने इसमें शामिल
व्यक्तियों की छानबीन कर उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है।
डीएसपी
रोहड़ू रविन्द्र नेगी ने शुक्रवार को बताया कि शिकायत के आधार पर भारतीय
न्याय संहिता की धारा 323, 223 व पशु अत्याचार अधिनियम 11 के तहत प्राथमिकी
दर्ज कर तफ्तीश की जा रही है। रोहड़ू बाजार के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों
को भी खंगाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि
धार्मिक अनुष्ठान के लिए बकरे की बलि नहीं दी गई है। इसके पीछे क्या मकसद
था, इसकी जांच की जा रही है।
बता दें कि कुछ दिन पहले मंडी जिला
में पशु बली का कथित मामला सामने आया था। मंडी में देव समाज से जुड़े एक
धार्मिक कार्यक्रम में सार्वजनिक रूप से पशुओं की बलि देने का मामला सामने
आया, जिसकी मंडी पुलिस जांच कर रही है।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश
में खुले में पशु बलि पिछले एक दशक से प्रतिबंधित है। वर्ष 2014 में
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने धार्मिक कार्यों के दौरान सार्वजनिक स्थलों पर
पशु बलि के नाम पर पशुओं पर हो रहे अत्याचारों को ध्यान पर रखते हुए पशु
बलि पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि इसके वाद कारदार संघों ने
इसे धार्मिक रीति-रिवाजों का हिस्सा मानते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
खटखटाया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर धार्मिक अनुष्ठानों में पशु
बलि का प्रावधान रखा गया है, जबकि सार्वजनिक रूप से पशु बलि पर रोक है।