मबीबीएस और बीडीएस में एडमिशन के लिए दिया जाने वाला विशेष सशस्त्र
बिलासपुर, । छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में विशेष सशस्त्र बल (जिसे रक्षा कोटा/पूर्व सैनिक कोटा भी कहा जाता है) हटाकर मनमाना वर्गीकरण किए जाने से क्षुब्ध होकर एक उम्मीदवार ने याचिका लगाई है। जिसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति विभू दत्त गुरु युगल पीठ में शुक्रवार को हुई।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर वर्तमान रिट याचिका, याचिकाकर्ता की शिकायत से उत्पन्न हुई है, जो एक मेधावी उम्मीदवार है और जिसने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा 2025 में विधिवत रूप से भाग लिया है और 'विशेष सशस्त्र बल कोटा' (जिसे रक्षा कोटा/पूर्व सैनिक कोटा भी कहा जाता है) के तहत एमबीबीएस/बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश चाहता है। अधिवक्ता ने यह तर्क दिया गया है कि उक्त कोटा एक अलग और स्वतंत्र श्रेणी है जिसे सशस्त्र बलों के कर्मियों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं को मान्यता देने और उनके बच्चों को लाभ प्रदान करने के लिए बनाया गया है।
वहीं उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे के संबंध में तीखे प्रश्न पूछे ।भारत संघ की ओर से उपस्थित उप सॉलिसिटर जनरल ने प्रस्तुत किया कि उन्हें इस मामले में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ उचित समय दिया जाए। जिसपर न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यदि कोई भी स्वीकारोक्ति की जाती है, तो वह वर्तमान रिट याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होगी। इस मामले को आगे विचार के लिए 29 अगस्त 2025 का दिन तय किया है। वहीं केंद्र सरकार का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता को निर्देश भी दिया वे अगली सुनवाई की तारीख तक या उससे पहले संबंधित मुद्दे को नियंत्रित करने वाली नीति को रिकॉर्ड में प्रस्तुत करें।