मप्रः कांग्रेस विधायक पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाने वाली डीएफओ को हटाया, चार अन्य अफसरों के तबादले
भोपाल,। मध्य प्रदेश में बालाघाट जिले से कांग्रेस विधायक
अनुभा मुंजारे पर दो से तीन पेटी रिश्वत मांगने की आरोप लगाने को लेकर
विवादों में आए डीएफओ नेहा श्रीवास्तव और अधर गुप्ता को राज्य शासन ने हटा
दिया है। इसके साथ चार अन्य वन मंडल अधिकारियों के भी तबादले किए गए हैं।
शासन ने यह कार्रवाई इस मामले में जांच रिपोर्ट आने के बाद और विधायक को
क्लीन चिट मिलने पर की है। जांच टीम ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में
रिश्वत मांगने का कोई सबूत या गवाहों के बयान में पुष्टि नहीं होने की बात
कही है।
वन विभाग द्वारा सोमवार देर शाम पांचों अधिकारियों के
तबादला आदेश जारी किए गए है। भारतीय वन सेवा के जिन अफसरों का तबादला किया
गया है, उनमें वन मंडल अधिकारी उत्तर बालाघाट वन मंडल नेहा श्रीवास्तव को
उपवन संरक्षक, मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ भोपाल में पदस्थ किया गया
है। इसी तरह अधर गुप्ता, वन मंडल अधिकारी दक्षिण बालाघाट वन मंडल को उपवन
संरक्षक, कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख कार्यालय में
पदस्थ किया गया है। निथ्यानंदम एल, वन मंडल अधिकारी पश्चिम मंडला वन मंडल
को वन मंडल अधिकारी दक्षिण बालाघाट और सुजीत जे. पाटिल, वन मंडल अधिकारी
मुरैना को उपवन संरक्षक, कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल
प्रमुख कार्यालय में पदस्थ किया गया है।
वन विभाग द्वारा जारी एक
अन्य आदेश में सहायक संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व माधव सिंह मौर्य को प्रभारी
वन मंडल अधिकारी पश्चिम मंडला, हरिश्चंद्र बघेल उपवन संरक्षक मध्य प्रदेश
राज्य वन विकास निगम भोपाल को प्रभारी वन मंडल अधिकारी मुरैना, रेशम सिंह
धुर्वे, उप वन मंडल अधिकारी मनासा नीमच को प्रभारी वन मंडल अधिकारी उत्तर
बालाघाट पदस्थ किया गया है।
डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ऐसे आई चर्चा
मेंयह मामला तब सुर्खियों में आया था। जब दक्षिण सामान्य वन मंडल की डीएफओ
नेहा श्रीवास्तव ने 18 अगस्त 2025 को अपने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर
आरोप लगाया था कि विधायक अनुभा मुंजारे ने उनसे “2 से 3 पेटी” की मांग की
थी। घटना की गंभीरता को देखते हुए शासन ने दो सदस्यीय महिला जांच टीम गठित
की थी, जिसमें भोपाल से एसीएफ स्तर की अधिकारी कमोलिका मोहंता और बैतूल से
सीसीएफ वासू कनौजिया को शामिल किया गया था। टीम ने 12 सितंबर को बालाघाट
पहुंचकर विस्तृत जांच की थी। इसमें डीएफओ, अरण्य सदन के कर्मचारी, रसोइया,
वाहन चालक, विधायक और उनके स्टाफ सहित कई लोगों के बयान दर्ज किए गए थे।
दूसरी ओर डीएफओ अधर गुप्ता एक टाइगर की मौत के बाद उसके जलाए जाने के मामले
को लेकर विवादों में आए थे। शासन ने उनके खिलाफ भी जांच के बाद कार्रवाई
की है।















