आश्विन संक्रांति 16 सितंबर को, राशि अनुसार दान करने से मिलेगा दस गुना पुण्य
भोपाल, । आश्विन संक्रांति का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस बार आश्विन संक्रांति मंगलवार, 16 सितंबर को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन सूर्यदेव अर्धरात्रि एक बजकर 47 मिनट पर सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। इसे कन्या संक्रांति भी कहा जाता है। संक्रांति का पुण्यकाल अगले दिन सुबह आठ बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इस दौरान स्नान, दान और सूर्योपासना का विशेष महत्व बताया गया है।
श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि आश्विन संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान, ब्राह्मणों को भोजन कराना और यथाशक्ति दान करना दस गुना पुण्यफल प्रदान करता है। यदि किसी कारणवश गंगा या अन्य नदियों में स्नान संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल मिश्रित जल से स्नान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस दिन एक समय भोजन करना और सात्विक आचरण अपनाना विशेष रूप से शुभ माना गया है।
धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण
आचार्य ब्रजेश चंद्र दुबे का कहना है कि आश्विन संक्रांति केवल ज्योतिषीय दृष्टि से ही नहीं बल्कि धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन नशे और तामसिक आहार से पूरी तरह बचना चाहिए। सात्विक भोजन, सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा सूर्यदेव को अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि संक्रांति के दिन किया गया दान व्यक्ति के दुर्भाग्य को दूर कर सुख-समृद्धि की राह खोलता है।
इनके अलावा पंडित भरत शास्त्री ने बताया कि इस संक्रांति का प्रभाव सभी राशियों पर अलग-अलग दिखाई देगा। मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, वृश्चिक और मकर राशि के जातकों के लिए यह संक्रांति शुभ फलदायी रहेगी। वहीं अन्य राशियों के लिए कुछ चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं। उनके अनुसार, दान राशि अनुसार करने पर शुभ फल कई गुना बढ़ जाते हैं। यह केवल धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है, क्योंकि इससे जरूरतमंदों तक सहयोग पहुँचता है।
संक्रांति का संभावित प्रभाव
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इस संक्रांति का प्रभाव केवल व्यक्तिगत जीवन पर ही नहीं बल्कि समाज और देश की परिस्थितियों पर भी दिखाई देगा। महंत रोहित शास्त्री के अनुसार, इस समय महंगाई से राहत मिलती नहीं दिख रही है। प्रजा अनेक रोगों से पीड़ित रह सकती है और भ्रष्टाचार, उपद्रव तथा हिंसक घटनाओं में वृद्धि की संभावना बनी रहेगी। कुछ प्रसिद्ध लोगों की आकस्मिक मृत्यु और प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूकंप व बाढ़ का खतरा भी बना रहेगा। उत्तर और पूर्वी राज्यों में भारी वर्षा और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं के मूल्य में बढ़ोतरी की भी आशंका है।
क्या करें, क्या न करें
आचार्यों के अनुसार, आश्विन संक्रांति पर विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। तामसिक भोजन और नशे से पूरी तरह दूर रहें। सात्विक आहार ग्रहण करें और भगवान को सात्विक भोग अर्पित करें। सूर्योपासना, सत्यनारायण पूजा और अपने इष्टदेव की आराधना करें। दान अपनी राशि के अनुसार अवश्य करें।
राशि अनुसार दान
मेष: गुड़, मूंगफली, तांबे की वस्तु, दही
वृषभ: सफेद कपड़ा, चांदी, तिल
मिथुन: मूंग दाल, चावल, पीला वस्त्र, गुड़, कंबल
कर्क: चांदी, चावल, सफेद ऊन, तिल, सफेद वस्त्र
सिंह: तांबा, गुड़, गेहूँ, सोना, मोती
कन्या: चावल, हरे मूंग, हरे वस्त्र
तुला: हीरा, चीनी, कंबल, गुड़, सात तरह के अनाज
वृश्चिक: मूंगा, लाल वस्त्र, दही, तिल
धनु: वस्त्र, चावल, तिल, पीला वस्त्र, गुड़
मकर: गुड़, चावल, कंबल, तिल
कुंभ: काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी, कंबल, घी, तिल
मीन: रेशमी वस्त्र, चने की दाल, चावल, तिल
पंडित भरत शास्त्री ने यह भी कहा कि दान केवल राशि अनुसार ही नहीं बल्कि अपनी सामर्थ्य के अनुसार करना चाहिए। संक्रांति के दिन किसी भूखे को भोजन कराना या जरूरतमंद को वस्त्र देना भी उतना ही पुण्यकारी माना गया है। आश्विन संक्रांति का दिन श्रद्धा, संयम और सेवा का प्रतीक है। इस दिन किए गए सत्कर्म और दान जीवन को सुख-समृद्धि से भरने वाले माने गए हैं। चाहे यह समय ग्रहों की चाल के कारण कुछ चुनौतियाँ लेकर आए, परंतु आस्था और दान-पुण्य के माध्यम से उसका सकारात्मक परिणाम अवश्य मिलेगा।