भगवान बदरीविशाल आज दिनभर देंगे दर्शन, शाम में शुरू होगी शीतकाल के लिए कपाट बंद किए जाने की प्रक्रिया - रात 09 बजकर 7 मिनट पर बंद होंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट
देहरादून,। उत्तराखंड की जगविख्यात चारधाम यात्रा अब समाप्त हो
चुकी है। चार धाम में से तीन धाम केदारनाथ धाम, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम
पहले ही बंद हो चुके हैं। अब आज रविवार को बदरी विशाल धाम के भी कपाट बंद
हो जाएंगे। धाम के कपाट बंद होने के अंतिम समय में श्रद्धालुओं की भीड़
दर्शन के लिए उमड़ पड़ी है। हर कोई जगत के पालनहार भगवान बदरी विशाल के दर्शन
करना चाहता है।
उत्तराखंड की पावन धरा पर बसा श्रीबदरीनाथ धाम जगत
के पालनहार भगवान विष्णु का निवास स्थल माना जाता है। यह धाम अलकनंदा नदी
के नर-नारायण नामक दो पर्वतों पर स्थापित है। धार्मिक मान्यता है कि
महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास ने बद्रीनाथ धाम में की थी। हर साल
बद्रीनाथ मंदिर में सबसे अधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
इस
वर्ष चारधाम यात्रा के लिए बद्रीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुले थे। 13
नवंबर से चल रही बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रकिया अब अंतिम चरण
में हैं। विधि-विधान पूर्वक आज रात नौ बजे कपाट बंद कर दिए जाएंगे।
बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने का कार्यक्रम
बदरीनाथ-केदारनाथ
मंदिर समिति (बीकेटीसी) के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि
शीतकाल के लिए भगवान बदरीविशाल के कपाट बंद होने की प्रक्रिया में रावल
अमरनाथ नंबूदरी स्त्री भेष धारण कर माता लक्ष्मी को बदरीनाथ मंदिर गर्भगृह
में विराजमान करेंगे। इससे कुछ ही समय पहले उद्धव जी एवं कुबेर जी मंदिर
परिसर में आ जाएंगे। इसके बाद रात सवा आठ बजे से कपाट बंद की प्रक्रिया
शुरू हो जाएगी तथा घृत कंबल ओढ़ाने के बाद निर्धारित समय रात 9 बजकर 07
मिनट पर बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। 18 नवंबर को
प्रात: योग बदरी पांडुकेश्वर को प्रस्थान करेंगे।
बीकेटीसी मीडिया
प्रभारी ने बताया कि मंदिर रविवार को ब्रह्म मुहूर्त में 4 बजे खुला। पूर्व
की भांति साढ़े चार बजे से अभिषेक पूजा हुई। मंदिर में दर्शन होते रहेंगे।
दिन में मंदिर बंद नहीं रहेगा। शाम को 6 बजकर 45 मिनट पर शायंकालीन पूजा
शुरू होगी। उसके 60 मिनट पश्चात अर्थात 7 बजकर 45 मिनट पर रावल माता
लक्ष्मीजी को मंदिर परिसर स्थित लक्ष्मी मंदिर से बदरीनाथ मंदिर में प्रवेश
कराएंगे। शाम 8 बजकर 10 मिनट पर शयन आरती होगी। इसके बाद कपाट बंद की
प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। 9 बजे रात्रि तक भगवान बदरीविशाल को माणा महिला
मंडल की ओर से तैयार किया गया घृत कंबल ओढ़ाया जाएगा। इसके बाद ठीक 9 बजकर
07 मिनट पर शुभ मुहूर्त में भगवान बदरीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो
जाएंगे।