देहरादून। नई उड़ान-नए आयाम! भारत भूमि से पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन करने का शिवभक्तों का सपना अब पूरा हो गया है। इस वर्ष पिथौरागढ़ स्थित ओल्ड लिपुलेख से 140 दिन चली यात्रा में अब तक 31 हजार श्रद्धालुओं ने आदि कैलाश एवं ओम पर्वत के दिव्य दर्शन किए हैं। अब यात्रा आखिरी चरण में है। 15 नवंबर से आदि कैलाश और ओम पर्वत दर्शन यात्रा शीतकाल के लिए बंद हो जाएगी। हालांकि आदि कैलाश और ओम पर्वत पहुंचने वालों की संख्या एक वर्ष में तीन गुना बढ़ी है। इससे धार्मिक पर्यटन की संकल्पना साकार होने के साथ उत्तराखंड की आर्थिकी भी उड़ान भरेगी।

दरअसल, भारत से चीन के आधिपत्य वाले तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर यात्रा कोरोना काल से बंद थी। ऐसे में इस यात्रा के बंद होने से इस वर्ष पहली बार पिथौरागढ़ स्थित ओल्ड लिपुलेख से ही कैलाश पर्वत के दर्शन कराए गए। 12 अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आदि कैलाश मानसरोवर व ओम पर्वत के दर्शन किए थे। प्रधानमंत्री के दौरे के बाद क्षेत्र का ऐसा क्रेज बढ़ा कि आदि कैलाश व ऊं पर्वत आने वालों की संख्या पिछले वर्ष 10 हजार के मुकाबले इस बार 31 हजार पहुंच गई।

कैलाश मानसरोवर यात्रा अप्रैल में शुरू हुई थी और जुलाई में मानसून काल को देखते हुए बंद कर दी गई थी। एक अक्टूबर से 15 नवंबर तक के लिए पुनः यात्रा का संचालन हुआ। अप्रैल से अब तक करीब 140 दिन चली यात्रा में पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने 31 हजार लोगों को उच्च हिमालयी क्षेत्र में प्रवेश के लिए जरूरी इनर लाइन परमिट जारी किए।

उप जिलाधिकारी धारचूला के अनुसार आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन के लिए इस बार 31 हजार इनर लाइन परमिट जारी किए गए हैं। मानसून काल में भारी वर्षा के चलते यात्रा को बंद करना पड़ा था। 15 नवंबर से उच्च हिमालय के मौसम को ध्यान में रखते हुए इनर लाइन परमिट बंद होने के कारण यात्रा अब अगले वर्ष अप्रैल के बाद शुरू होगी। इस वर्ष पहली बार हेलीकाप्टर से आदि कैलाश यात्रा प्रारंभ हुई और ओल्ड लिपुलेख से यात्रियों ने कैलाश मानसरोवर के दर्शन किए।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, रुकेगा पलायन, खुलेंगे रोजगार के द्वार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यात्रा के सफल संचालन के लिए बधाई दी और कहा कि सभी के अथक प्रयासों से ही इस यात्रा का संचालन संभव हो पाया। इस यात्रा से राज्य के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और पलायन भी रूकेगा। साथ ही क्षेत्रीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

पहले यात्रा के लिए पार करना पड़ता था चीन बार्डर

कोरोना काल से पहले तक केंद्र सरकार कुमाऊं मंडल विकास निगम के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा कराती थी। तब शिवभक्त लिपुपास से पैदल यात्रा कर चीन बार्डर पार कर कैलाश मानसरोवर के दर्शन करते थे। कोरोना काल के बाद से यह यात्रा बंद थी। लंबे समय से शिवभक्त कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने को आतुर थे। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने भारत भूमि से ही श्रद्धालुओं को पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन कराने का फैसला लिया।

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