जयपुर। भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार माह शयन के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को निद्रा से उठेंगे। एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 6:47 बजे से प्रारंभ होगी, जो 12 नवंबर को शाम 04:05 मिनट तक रहेगी। उदयव्यापनी एकादशी 12 नवंबर को होने से इसी दिन उपवास रखा जाएगा। इसी के साथ चार माह से बंद मांगलिक कार्य 12 नवंबर को देव प्रबोधनी एकादशी के अबूझ मुहूर्त के साथ शुरू हो जाएंगे। अबूझ सावा होने के कारण राजधानी सहित प्रदेशभर में शहनाइयों की गूंज रहेगी।

मंदिरों में देवोत्थापन अनुष्ठान होंगे और ठाकुरजी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रहेगी। ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि इससे पूर्व आषाढ़ शुक्ल देव शयनी एकादशी 17 जुलाई को भगवान के शयन करने के कारण शादी, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा और मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं हो पा रहे थे। अब देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु के जागने पर पुन: शुभ कार्य शुरू हो सकेंगे। देव उठनी एकादशी अबूझ सावे के बाद 22, 23, 24, 25, 26, 27 नवंबर को और दिसंबर में 5, 6, 7, 11 तारीख को विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्त रहेंगे। इसके बाद 15 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही धनु मल मास प्रारंभ हो जाएगा। इस दौरान मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा। अगले साल 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही पुन: मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो पाएगा।

शादी के बंपर सीजन को देखते हुए विवाह स्थल, होटल, धर्मशालाओं सहित वाहनों के लिए भी एडवांस बुकिंग कराई जा चुकी है। एडवांस बुकिंग के चलते टेंट हाउस, हलवाई, पंडित, चाट, बैंड और डीजे सहित विवाह में काम करने वाले लोग भी नवंबर और दिसंबर में व्यस्त रहेंगे।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार नवंबर माह में 12, 13, 17, 18, 22, 23, 25, 26, 28 और 29 तारीख को विवाह के शुभ मुहूर्त है। इसी तरह 4, 5, 9, 10, 11, 13, 14, 15, 16 दिसंबर को विवाह के मुहूर्त आएंगे। इसके बाद एक महीने तक सावे नहीं हैं।

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