भगवान राम के पदचिन्हों में बसा तातापानी, गर्म जल कुंडों और भगवान शिव की भव्य प्रतिमा का अद्वितीय संगम
बलरामपुर,। बलरामपुर जिले के ग्राम पंचायत तातापानी में स्थित पर्यटन स्थल तातापानी अपने आप में विशेषता रखता है। स्थानीय भाषा में ताता का मतलब गर्म होता है, इसलिए इस जगह का नाम तातापानी पड़ गया। इस स्थल में आठ से दस गर्म जल कुंड है। इसके अलावा भगवान शिव की अस्सी फीट ऊंची विशाल प्रतिमा है। जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है।
यहां स्थित गर्म जल कुंड से निकलने वाली पानी इतना गर्म होता है कि, इसमें चावल, आलू और अंडे मिनटों में उबल जाते है। वैज्ञानिकों की माने तो, इस क्षेत्र में सल्फर कि मात्रा अधिक है इसी वजह से यहां से निकलने वाला पानी हमेशा गर्म होता है। लोगों की ऐसी आस्था है कि, इन जल कुंडो में स्नान करने से अनेक चर्म रोग ठीक हो जाते है। जल कुंड का पानी बारहों महीने गर्म रहता है।
मकर संक्रांति पर्व पर लगता है विशाल मेला
पौष मास में जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है उस दिन मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर्व जिला प्रशासन तातापानी महोत्सव के रूप में मनाती है। तातापानी मेला छत्तीसगढ़ में साल की पहली बड़ी पर्यटक गतिविधि के रूप में भी पहचाना जाता है। यह आयोजन न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है, बल्कि अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं। राज्य सरकार द्वारा इसे एक व्यवस्थित और भव्य आयोजन के रूप में मनाया जाता है, जिसमें भोजपुर, बॉलीवुड और छालीवुड के कलाकार मंच पर प्रस्तुति देते है।
स्थानीय लोगों की माने तो, तातापानी मेले की शुरुआत लगभग सौ वर्ष पूर्व हुई थी। उस समय स्थानीय ग्रामीण और श्रद्धालु मकर संक्रांति के दिन तातापानी के गर्म कुंडों में स्नान के लिए एकत्रित होते थे। समय के साथ, यह धार्मिक परंपरा एक भव्य सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव में परिवर्तित हो गई है।
भगवान शिव की 80 फीट ऊंची प्रतिमा और 12 ज्योर्तिलिंग के लोग करते है दर्शन
तातापानी पर्यटन स्थल के साथ साथ धार्मिक स्थल भी है। यहां भगवान शिव की अस्सी फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। विशालकाय प्रतिमा दस किलोमीटर दूर से ही दिखाई देती है। प्रतिमा के नीचे मंदिर भी है जहां भगवान शिव के 19 अवतारों की तस्वीर बनाई गई है, साथ ही प्रतिमा के नीचे 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। इससे यहां साल भर लोगों का आना जाना लगा रहता है। यहां की खूबसूरती बढ़ाने 60 फिट का मुख्य द्वार भी बनाया गया है।
क्या है मान्यता
पुजारी बिहारी राम भगत ने यहां के मान्यता के बारे में आज गुरुवार को बताया कि, भगवान श्रीराम अपने वनवास के दौरान यहां आए थे। उन्होंने यहां शिव प्रतिमा की स्थापना कर रमचवरा पहाड़ में विश्राम किया था। गांव के एक व्यक्ति को सपना आया और उसने शिव मंदिर बनाया और उस समय से यहां स्नान कर शिव दर्शन की परम्परा चली आ रहा है। यहां के कई स्थानों पर धरती से गर्म जल निकलता है। इस गर्म कुण्ड को देखने लोग प्रतिदिन हजारों की संख्या में पहुंचते हैं।