- नई कृषि क्रांति की शुरुआत, किसानों की बढ़ेगी आमदनीमीरजापुर। शरीर के लिए बेहद ही पौष्टिक राजस्थान का खजूर भारत ही नहीं विदेश में अपना डंका बजवा रहा है। अब इस प्रजाति का खजूर उत्तर प्रदेश के मीरजापुर में भी उपलब्ध होगा। इसके लिए प्रशासन और उद्यान विभाग ने योजना के तहत विशेष पहल की है और राजस्थान से खजूर के पौधों को लाकर किसानों को उपलब्ध कराया गया है। यही नहीं किसानों को सब्सिडी भी दी जा रही है और किसान बढ़ चढ़कर राजस्थानी खजूर की खेती के लिए उतावले दिख रहे हैं। अब तक 250 पौधें मीरजापुर आ चुके हैं, जिनमें 100 पौधे किसानों के खेतों में शत प्रतिशत तैयार होकर फसल की ओर अग्रसर हैं। उद्यान विभाग का मानना है कि राजस्थानी खजूर के लिए मीरजापुर की जलवायु अनुकूल है और खजूर की खेती करके किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं।

राजस्थान से लाए गए उच्च गुणवत्ता वाले खजूर के पौधे अब यहां के किसानों के खेतों में फलने-फूलने लगे हैं। इन पौधों ने न केवल भूमि की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाया है, बल्कि किसानों के जीवन में एक नया रोशनी भी लाया है। फरवरी 2023 में लगाए गए इन खजूर के पौधों की ग्रोथ शानदार रही है और अब वे फल देने के करीब हैं। उद्यान विभाग की पहल से खजूर के ये पौधे किसानों के लिए समृद्धि के दरवाजे खोलने की क्षमता रखते हैं। जोधपुर से लाए गए टिश्यू कल्चर खजूर के पौधे मीरजापुर में अब किसानों के लिए आय का नया स्रोत बन गए हैं। एक पौधे से किसानों को सालाना 12,000 से 20,000 तक की आय होने की संभावना है और यह व्यापार का हिस्सा भी बन सकता है।

80 वर्षों तक फलते-फूलते हैं खजूर के पेड़

उद्यान अधिकारी मेवाराम ने बताया कि फरवरी 2023 में राजस्थान से 250 खजूर के पौधे लाए गये थे, जिनमें 100 पौधे 62 किसानों को दे दिये गये। शेष 150 पौधे राजकीय बौद्ध साल पटेहरा में लगाए गए थे और इस परियोजना ने अब शानदार परिणाम दिखाए हैं। इन खजूर के पेड़ों का विकास बेहद अच्छा हो रहा है और मोर्टालिटी यानी मृत पेड़ों की संख्या शून्य है। इसमें खास बात यह है कि इन खजूर के पेड़ों को एक बार लगाने के बाद वे 80 वर्षों तक फलते-फूलते हैं। पहला फल चौथे साल से ही आना शुरू हो जाता है और पांचवें-छठे साल तक एक पेड़ से 50 किलो से लेकर दो कुंतल तक खजूर का उत्पादन होता है। एक पेड़ से 12,000 से लेकर 20,000 रुपये तक की आय होने की उम्मीद है। किसानों के खेतों में जो पौधे लगे हैं वह भी शत प्रतिशत तैयार होकर लहलहा रहे हैं और उत्पादन देने की ओर अग्रसर हैं।

कृषकों को मिलेगा 50 प्रतिशत छूट

उद्यान अधिकारी ने बताया कि यह सिर्फ शुरुआत है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस परियोजना को और बढ़ावा देने के लिए एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत किसानों को खजूर के पौधे 50 प्रतिशत छूट पर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इसके तहत किसान पांच से 100 पौधे तक खरीद सकते हैं, जो एक लंबी अवधि में उन्हें स्थिर और अच्छी आय प्रदान करेंगे। इन पौधों को टिश्यू कल्चर से तैयार किया जाता है, जो राजस्थान के उद्यान विभाग और अतुल कंपनी के सहयोग से बनते हैं। इन पौधों की एक यूनिट की कीमत 4000 रुपये होती है और इनकी विशेषता यह है कि ये पौधे बहुत ही अच्छी गुणवत्ता के होते हैं और बेहद कम देखभाल में विकसित होते हैं।

कृषि अर्थव्यवस्था को मिलेगी नई दिशा

यह परियोजना न सिर्फ स्थानीय किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है, बल्कि पूरे जनपद और मंडल के लिए एक लाभकारी कदम साबित हो रही है। खजूर की खेती जो अन्य फसलों के मुकाबले बेहद कम मेहनत और कम पानी में विकसित होती है। किसानों को यह खेती एक स्थिर और उच्च आय का स्रोत प्रदान करेगी। इसके अलावा एक हेक्टेयर भूमि पर 162 पौधे लगाए जा सकते हैं और इनके बीच की जगह पर अन्य फसलें भी उगाई जा सकती हैं जिससे जमीन का अधिकतम उपयोग किया जा सकता है। किसान पारंपरिक खेती के अलावा नए तरीके से भी अपनी आय बढ़ा सकेंगे। इससे प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा मिलेगी।

तकनीकी और सशक्त खेती कर समृद्ध बनेंगे किसानजिलाधिकारी प्रियंका निरंजन और पुलिस अधीक्षक अभिनंदन ने उद्यान विभाग की पौधशाला पटेहरा का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान खनिज विभाग से प्राप्त फंड से लगाए गए खजूर के पेड़ और सोलर पंप की कार्यप्रणाली का जायजा लिया। जिलाधिकारी ने कहा कि खजूर की खेती न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद करेगा, बल्कि यह क्षेत्रीय कृषि को भी एक नया आयाम देगा। तकनीकी और सशक्त खेती कर किसान समृद्ध बनेंगे।

किसानों के लिए एक नंदनी बनकर उभरेगा मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंसजिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने राजकीय प्रयोगशाला पटेहरा में रुर्बन मिशन योजना अंतर्गत निर्मित मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का भी निरीक्षण किया। इस सेंटर में पौधों का तैयार किया जाना एक नया कदम है, जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता के पौधे उपलब्ध होंगे। जिलाधिकारी ने इस कार्य को सराहा और प्रसन्नता व्यक्त की कि यह सेंटर किसानों के लिए एक नंदनी बनकर उभरेगा।

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