मप्र की विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है हथकरघा कला, दुनियाभर में बनाई अपनी अलग पहचान
भोपाल । मध्य प्रदेश की समृद्ध हथकरघा कला प्रदेश की विविध
सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जो सदियों से चली आ रही परंपरा को समेटे
हुए है। चमचमाते रंगों के साथ आंखों में बस जाने वाली डिजाइन और खूबसूरत
बुनावट वाले इन कपड़ों की पहचान दुनियाभर में है। टेक्सटाइल पर्यटन का विशेष
महत्व है क्योंकि यह विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक विरासत को
जीवंत रखता है। यह अनुभव आधारित पर्यटन का एक अद्वितीय पहलू है। मध्य
प्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा परंपरा में निहित और नवाचार से प्रेरित
बुनकरों एवं शिल्पकारों की कला को संरक्षित करते हुए विभिन्न स्तर पर पहल
की जा रही है। मध्य प्रदेश में हथकरघा बुनाई और रंगाई कौशल की सदियों
पुरानी परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है।
चंदेरी साड़ियां-
जनसंपर्क
अधिकारी अनुराग उइके ने मंगलवार को बताया कि चंदेरी साड़ी मध्य प्रदेश के
अशोकनगर जिले के चंदेरी शहर से बुनकरों द्वारा निर्मित की जाती हैं। यह
अपने कम वजन एवं स्पष्ट बनावट के लिए जानी जाती है, जो इसे गर्म मौसम के
लिए आदर्श बनाती है। रेशम, कपास और ज़री (धातु के धागे) का उपयोग करके
साड़ी को हाथ से बुना जाता है। अपनी चमक, स्पष्ट बनावट और बेहतरीन डिजाइन
के लिए प्रसिद्ध यह साड़ियां पारंपरिक बुनाई तकनीकों और आधुनिक डिजाइनों का
अनूठा संयोजन भी है। शादी हो, उत्सव हो या फिर कोई कारपोरेट आयोजन, चंदेरी
साड़ी हर महिला की पसंद रहती है। म.प्र. टूरिज्म विभाग द्वारा बुनकरों को
बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वस्त्र मंत्रालय की मदद से चंदेरी के
पास प्राणपुर गांव में देश का पहला ‘क्रॉफ्ट हैंडलूम टूरिज्म विलेज’ भी
विकसित किया है।
महेश्वरी साड़ियां-
नर्मदा नदी के तट पर
स्थित, महेश्वर हथकरघा बुनाई का सदियों पुराना केंद्र है, जो अपनी खूबसूरत
महेश्वरी साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। इन साड़ियों की विशेषता जीवंत
रंगों, सोने की ज़री और अद्वितीय पिटलूम बुनाई तकनीक है। परंपरागत रूप से
कपास से बनीं साड़ियां एवं कुर्ते सादे, धारीदार और यहां तक कि चेकर
पैटर्न सहित विभिन्न प्रकार के डिज़ाइन में उपलब्ध होते हैं। महेश्वर भ्रमण
के दौरान आप यहां महेश्वरी साड़ियां बनती हुई देख सकते हैं। महेश्वर में
सीधे बुनकरों से ही साड़ियां खरीद भी सकते हैं।
बाग प्रिंट-
ऐतिहासिक
शहर मांडू के पास बाग नाम का छोटा सा कस्बा बाग प्रिंट की 1000 साल पुरानी
परंपरा को समेटे हुए है, जो प्राकृतिक डाई ब्लॉक प्रिंटिंग का एक अनूठा
रूप है। यह बाग प्रिंट सूती, रेशमी, टसर, कॉटन-सिल्क, जूट और क्रेप के साथ
दूसरे अन्य कपड़ों पर किया जा सकता है। बाग प्रिंट के कपड़ों के साड़ी,
सूट, चादर के साथ-साथ नए पैटर्न के डिजाइर और मार्डन ड्रेसेस भी बनाई जाती
हैं। आज बाग प्रिंट को दुनियाभर में पहचाना जाना है।
भैरवगढ़ बटिक-
बाबा
महाकाल की नगरी उज्जैन के निकट भैरवगढ़ बटिक प्रिंट का केन्द्र है, जिसको
जीआई टैग मिला है। सदियों पुरानी मोम प्रतिरोधी रंगाई और छपाई शिल्प मिस्र,
जापान और भारत में 2000 वर्षों से अधिक समय से प्रचलित है।
आकर्षक प्रिंट्स बढ़ा देते हैं शोभा-
मध्य
प्रदेश में प्रिंट लोक कला की एक समृद्ध परंपरा है। विभिन्न क्षेत्रों के
चित्रों में अनूठी विशेषताएं हैं। नीमच और उमेदपुरा के तारापुर गांव में
निर्मित नंदना प्रिंट एक रंगीन ब्लॉक प्रिंट है। यह आरामदायक पोशाख भील और
बाग भिलाला जनजातियों की पारंपरिक पोशाक है।
मध्य प्रदेश टूरिज्म
बोर्ड द्वारा प्रदेश के टेक्साइल पर्यटन की क्षमता को दुनिया के सामने
प्रचारित करने के लिये विभिन्न स्तरों पर प्रयास किया जा रहा है। जब भी आप
प्रदेश के रमणीय पर्यटन स्थलों पर भ्रमण पर आएं, तो अपने साथ सोवेनियर के
रूप में यह टेक्सटाइल उत्पाद जरूर साथ ले जाएं।