बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के ब्लॉक रामानुजगंज स्थित कन्हर नदी के तट पर श्रीराम मंदिर न केवल सौ साल पुराना है बल्कि यह रामानुजगंज की आस्था की जीवित पहचान भी है। रामानुजगंज के श्री राम मंदिर की छटा ही निराली है। एकदम सटकर सीढ़ियों से लगकर बहती सदानीरा कन्हर नदी बरसात के दिनों में रोज भगवान श्री राम के पांव पखारती हुई आगे बढ़ती है। कई सीढ़ियों के ऊपर विराजमान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता पूर्वाभिमुख हो एक टक कन्हर नदी का सौंदर्य निहारते देखे जा सकते हैं। राममंदिर से गूंजती घंटियों का स्वर, सुबह-शाम आरती की ध्वनियां और कन्हर का कल कल निनाद यहां एक अलग ही प्राकृतिक आभा सृजित करते हैं।

यह मन्दिर न केवल बलरामपुर जिले बल्कि पूरे संभाग में स्थित प्राचीन मंदिरों में एक है। बरसात के दिनों में कभी-कभी जब नदी अपने उफान पर होती है मन्दिर की सभी सीढ़ियां डूब जाती हैं। जबसे इसका जीर्णोद्धार हुआ है इसकी आभा देखते ही बनती है। वैसे भी रामानुजगंज की जनता बेहद धर्मपरायण है और राम मंदिर उनकी आत्मा है। यहां के धार्मिक स्थलों में श्री राम मन्दिर का विशेष स्थान है। इस मंदिर के गर्भ गृह में श्री राम, माता जानकी के साथ भाई लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित है।


 साथ ही गर्भ गृह के बाहर, एक तरफ गणेश जी एवं एक तरफ हनुमान जी भी विराजमान हैं। वहीं मन्दिर के एक भाग में भगवान भोलेनाथ सपरिवार विराजमान हैं। विशेष त्योहार के साथ-साथ प्रतिदिन नगर सहित आसपास क्षेत्र के लोग भी दर्शन को आते हैं। यहां दर्शन के लिए आये लोगों को कन्हर नदी का तट काशी में बैठने की अनुभूति कराती है। साथ ही नदी के दूसरी ओर हरा भरा प्राकृतिक दृश्य मनमोह लेता है। नगरवासियों के लिए कन्हर नदी का राम मंदिर घाट सबसे बड़ा एवं प्रसिद्ध घाट है। राम मंदिर में रामनवमी, नागपंचमी एवं कृष्ण जन्माष्टमी विशेष रुप से मनाया जाता है। पुत्र एवं पति के दीर्घायु एवं सुखमय जीवन का विशेष त्यौहार जितिया एवं तीज पर्व के दिन पूरे शहर की महिलाएं एकत्रित होकर मंदिर प्रांगण में पूजा अचर्ना एवं कथा का श्रवण करती हैं।

राममंदिर घाट पर पूरे वर्ष का सबसे बड़ा मेला छठ महापर्व के दिन शहर सहित आसपास क्षेत्र के साथ पड़ोसी राज्यों के लोग भी पहुंचते हैं। मंदिर में पहुंचने वाले भक्तगण राम मंदिर के तट पर घंटों बैठकर प्राकृतिक सुंदरता निहारते रहते हैं। कन्हर नदी के तट पर स्थित प्राचीन श्री राममंदिर 1933-34 में सरगुजा महाराज रामनुजशरण सिंहदेव के द्वारा बनवाया गया था। उस समय महाराजा के दरबार में दरोगा के पद पर कार्यरत जंगी दुबे को मन्दिर के प्रथम पुजारी बनने का अवसर प्राप्त हुआ था। उसके बाद इनके पुत्र स्व. महाबीर दुबे लगभग 55 वर्षों तक पुजारी रहे।

वतर्मान में इनके पुत्र सुदर्शन दुबे पुजारी के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं। जब मंदिर का निर्माण हुआ था उस समय मंदिर का परिसर चारों तरफ से खुला हुआ था परंतु बाद में 2017-18 में यहां के वतर्मान नगर पालिका अध्यक्ष रमन अग्रवाल के द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार विस्तरित रूप से कराया गया। नए सिरे से मंदिर का रंग रोगन, चबूतरा निर्माण, मंदिर परिसर में शेड निर्माण करते हुए मंदिर को नया रंग रूप प्रदान किया।

मंदिर के पुजारी सुदर्शन दुबे बताते हैं कि यहां प्रतिदिन भक्तों का तांता लगा रहता है। नगर सहित पड़ोसी राज्य से भी लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। लोगों की आस्था है कि भगवान राम सभी की मन्नते पूरी करते हैं।