लखीमपुर में गोमती नदी के तट पर रमणीय स्थल तक खिंचे चले आते पर्यटक
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में गोमती नदी के तट पर
रमणीय स्थलों की भरमार है। इन रमणीय स्थलों पर लखीमपुर आने वाले पर्यटक
अपने आप ही खिंचे चले आते हैं। पर्यटकों के यहां तक पहुंचने के कारण उत्तर
प्रदेश पर्यटन विभाग की टीम भी यहां तक पहुंची है।
लखनऊ से 130
किलोमीटर की दूरी पर लखीमपुर जनपद अपने में प्रकृति की सुंदरता छुपाये हुए
स्थित है। प्रकृति प्रेमियों और वन्य जीव दर्शन का शौक रखने वाले लोगों के
लिए लखीमपुर एक पर्यटन जनपद भी है। लखनऊ से सीतापुर होते हुए लखीमपुर तक
पहुंचा जा सकता है। लखीमपुर में गोमती नदी बहती है और उसके दोनों किनारों
पर रमणीय पर्यटक स्थलों की बड़ी संख्या है।
लखीमपुर जनपद के
निवासी अध्यापक देवेश कुमार बताते हैं कि आजकल लखीमपुर में बाहर से आने
वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। विशेष रूप से लखनऊ से यहां लोग आते हैं,
जिनकी पहली पसंद गोला गोकर्णनाथ के दर्शन और दुधवा नेशनल पार्क होती है।
इसके बाद गोमती नदी के किनारे बसे रमणीय स्थलों में उचवा हनुमानगढ़ी आश्रम,
अमरी देवी मंदिर, टेढ़ेनाथ घाट देखने लोगों का पहुंचना होता है।
पर्यटकों
की सहायता करने वाले देवेश कुमार ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि
लखीमपुर के मोहम्मदी के निकट हरिहरापुर गांव में उचवा हनुमानगढ़ी आश्रम
स्थित है। विराट परिक्रमा के दौरान यहां पर श्रद्धालुओं का रुकखा होता है।
अमरी देवी के नाम पर अमरी घाट और बाद में एक विशालकाय मंदिर बना है। यह
स्थान जैती फिरोजपुर गांव में है। अमरी देवी की कृपा है, यहां गोमती नदी
उत्तर दिशा से दक्षिण दिशा की ओर बहती है।
उन्होंने बताया कि अमरी
देवी मंदिर पर प्रत्येक अमावस्या पर मेला लगता है। दूर-दूर से यहां
श्रद्धालुओं का पहुंचना होता है। इसी तरह रमणीय स्थल के रूप में टेढ़ेनाथ
घाट पर बाबा टेढ़ेनाथ धाम बना हुआ है। सैदापुर गांव में रमणीय स्थालों में
से एक स्थल के रूप में टेढ़ेनाथ धाम स्थित है। यहां शिवलिंग को पाण्डवों के
ज्येष्ठ भ्राता धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा पूजित माना जाता है।
पर्यटन
विभाग से जुड़े अधिकारी दिनेश ने कहा कि लखीमपुर के रमणीय स्थलों को और भी
विकसित करने की पर्यटन विभाग की पूरी तैयारी है। जिसके लिए पर्यटन विभाग
के अध्यक्ष के सम्मुख तमाम प्रमुख बिन्दुओं को रखा गया है। इसी तरह उत्तर
प्रदेश में नये पर्यटक स्थलों को विकसित करने और पुराने पर्यटन क्षेत्रों
के लिए तमाम विकास कार्यों की योजना बनी है।
उल्लेखनीय है कि
महाकुम्भ 2025 में उत्तर प्रदेश आने के लिए तैयार पर्यटकों ने बीते दिनों
गूगल पर प्रयागराज के अलावा अयोध्या, आगरा, वाराणसी और इसके बाद लखीमपुर को
सबसे ज्यादा सर्च किया है। नेपाल बार्डर से जुड़े लखीमपुर क्षेत्र में
प्रकृति की सुंदरता व्याप्त है और जो पर्यटकों को अपने ओर आकर्षित करती है।