होटलों के अवैध निर्माण से खत्म हो रहा मंदारमणि का प्राकृतिक सौंदर्य
पश्चिम
मेदिनीपुर के प्रसिद्ध समुद्र तटीय क्षेत्र मंदारमणि में होटलों के अवैध
निर्माण से पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंच रहा है। बीते कुछ वर्षों में
यहां करीब 140 होटलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग के बीच, 100 और नए होटल
और लॉज निर्माणाधीन हैं।
करीब 20 साल पहले मंदारमणि शांत और स्वच्छ
समुद्र तट के रूप में जाना जाता था। यह स्थान लाल केकड़ों और हरे-भरे
क्याग्रास जंगलों के लिए मशहूर था। पर्यटक यहां शांति का अनुभव करने और
प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने आते थे। परंतु आज की मंदारमणि इन विशेषताओं
से कोसों दूर है। होटल उद्योग के विस्तार ने न केवल पर्यावरण को नुकसान
पहुंचाया है, बल्कि लाल केकड़े और जंगल भी लगभग विलुप्त हो गए हैं।
स्थानीय
मछुआरा संगठन दक्षिण बंगाल मछुआरा फोरम के अनुसार, पर्यावरणीय नियमों की
अनदेखी करते हुए समुद्र तट के पास दर्जनों बड़े होटलों का निर्माण हो रहा
है। कोस्टल रेगुलेशन जोन (सीआरजेड) कानून के तहत समुद्र तटीय इलाकों में
संरचनाओं का निर्माण प्रतिबंधित है। फिर भी, अवैध निर्माण जारी है। स्थानीय
निवासी श्रीकांत दास ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में समुद्र का जल स्तर
करीब 250 मीटर बढ़ चुका है। इस कारण तटीय गांवों और मछुआरा बस्तियों को
खतरा है।
मंदारमणि में होटल निर्माण पर राजनीतिक बहस भी तेज हो गई
है। स्थानीय होटल मालिकों का कहना है कि इन होटलों का निर्माण 2011 से पहले
वामपंथी शासनकाल में शुरू हुआ था। उनके अनुसार, पंजीकरण और लाइसेंस पचायत
से प्राप्त किया गया था। वहीं, प्रशासन का कहना है कि 2011 के बाद पंजीकरण
और भूमि उपयोग परिवर्तन पर रोक लगा दी गई थी।
स्थानीय निवासी और
पर्यावरणविद् मंदारमणि के तटीय इलाकों में बढ़ती समस्याओं को लेकर चिंतित
हैं। उनका कहना है कि अवैध निर्माण के कारण बाढ़ और भू-क्षरण की घटनाएं बढ़
रही हैं। इसके अलावा, समुद्र तट के पास वाहनों की आवाजाही भी बढ़ रही है,
जिससे पर्यावरण को और नुकसान हो रहा है।
पर्यावरणविद् देवाशीष
श्यामल ने आरोप लगाया कि प्रशासन और राजनेताओं की मिलीभगत के कारण अवैध
निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन सीआरजेड कानून
को सख्ती से लागू करे, तो इस समस्या का समाधान संभव है।
क्या है भविष्य की योजना?
मंदारमणि
के अवैध होटलों को लेकर अदालत का निर्णय और प्रशासनिक कार्रवाई भविष्य में
इस क्षेत्र की तस्वीर को प्रभावित करेंगे। लेकिन सवाल यह है कि क्या इन
अवैध निर्माणों पर रोक लगाई जाएगी, या मंदारमणि का प्राकृतिक सौंदर्य यूं
ही नष्ट होता रहेगा।