देहरादून। सरकार ने राजकीय दून मेडिकल कॉलेज व हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में विभिन्न संकायों में एक दर्जन विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्तियां संविदा के आधार पर सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में की जा रही हैं।

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती के लिए राज्य सरकार काम कर रही है। इस कार्य के लिए राज्य सरकार ने हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में एक साक्षात्कार समिति का गठन किया है, जो वॉक-इन-इंटरव्यू के माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सकों का चयन कर विभाग को सौंप रही है। इसी क्रम में चयन समिति ने 12 विशेषज्ञ चिकित्सकों का चयन किया है, जिनकी नियुक्ति के लिए राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है। जानकारी के अनुसार इनमें से छह विशेषज्ञ चिकित्सकों को राजकीय दून मेडिकल कॉलेज और छह विशेषज्ञ चिकित्सकों को हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में नियुक्ति दी गई है।

साक्षात्कार समिति ने दून मेडिकल कॉलेज में प्लास्टिक सर्जरी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए डॉ. आकाश सक्सेना का चयन किया है। इसके अलावा ऑब्स एंड गायनी विभाग में डॉ. नेहा कचरू, रेडियो डाग्नोसिस विभाग में डॉ. राहुल कुमार सिंह, एनेस्थिसिया में डॉ. विजिता पाण्डेय का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर हुआ है। बर्न यूनिट में मेडिकल ऑफिसर पद पर डॉ. राजदीप बिन्द्रा तथा इमरजेंसी मेडिसिन में डाॅ. नवजोत का इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर पद पर चयन हुआ है।

इसी प्रकार हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में पैथोलॉजी विभाग में डॉ. प्रज्ञा सक्सेना और एनेस्थिसिया विभाग में डॉ. शैलेश कुमार लोहनी का चयन एसोसिएट प्रोफेसर पद पर हुआ है। इसी प्रकार कम्युनिटी विभाग में डॉ. शालिनी शर्मा, पीडियाट्रिक्स में डॉ. राजन मोहन, फिजियोलॉजी में डॉ. संध्या एम. तथा ऑर्थोपेडिक्स विभाग में डॉ. आकाशदीप सिंह का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयन हुआ है। इन सभी चयनित विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति संविदा के माध्यम से आगामी तीन वर्ष अथवा उक्त पदों पर नियमित नियुक्ति होने तक जो भी पहले हो, के लिये की गई है।

इस संबंध में राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राजकीय दून मेडिकल कॉलेज व हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में 12 और विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति कर दी गई है। संकाय सदस्यों की नियुक्ति न केवल चिकित्सा छात्रों को उच्चस्तरीय शिक्षण प्राप्त होगा बल्कि कॉलेजों में रिसर्च और क्लीनिकल सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

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