देहरादून,। उत्तराखंड सरकार ने आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए ऐतिहासिक पहल की है। राज्य में एक सुदृढ़ इमरजेंसी ट्रॉमा केयर नेटवर्क स्थापित करने के उद्देश्य से देहरादून में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय बैठक में विशेषज्ञों और संस्थानों ने मिलकर आपदा और दुर्घटना के समय "गोल्डन ऑवर" के भीतर मरीजों को त्वरित और प्रभावी चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने की रणनीतियों पर चर्चा की।

बैठक में स्टेट हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश और हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस दौरान गंभीर रूप से घायल मरीजों को "गोल्डन ऑवर" के भीतर उच्च-स्तरीय चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए रणनीतियां साझा की गईं।

कार्यकारी निदेशक एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक स्वाति एस. भदौरिया ने इस पहल को राज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने जोर दिया कि ट्रॉमा केयर नेटवर्क से आपात स्थिति में पीड़ितों को त्वरित और सटीक चिकित्सा सहायता मिलेगी।

तकनीकी नवाचार और प्रशिक्षण पर फोकस भदौरिया ने कहा कि एंबुलेंस सेवाओं (108) को स्वास्थ्य केंद्रों के विस्तृत मैप उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने एक मोबाइल ऐप विकसित करने के निर्देश दिए, जिससे आपातकालीन घटना के निकटतम स्वास्थ्य केंद्र को तुरंत अलर्ट भेजा जा सके। इस ऐप के माध्यम से मेडिकल स्टाफ पहले से तैयार होकर पीड़ित को त्वरित उपचार प्रदान कर सकेगा।साथ ही ट्रॉमा केयर में पैरामेडिक्स और चिकित्सा कर्मियों के प्रशिक्षण को प्राथमिकता दी गई। उन्होंने निर्देश दिए कि धरातल पर कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों को विशेष ट्रॉमा ट्रेनिंग और संवेदनशीलता प्रशिक्षण दिया जाए।

विशेषज्ञों के विचार बैठक में एचएनबी मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति, डॉ. मदन लाल ब्रह्म भट्ट ने कम्युनिटी हेल्थ वर्कर्स की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि इन वर्कर्स को प्राथमिक चिकित्सा और ट्रॉमा प्रबंधन में प्रशिक्षित किया जाए।एम्स ऋषिकेश के ट्रॉमा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मधुर उनियाल ने ट्रॉमा केयर नेटवर्क की विस्तृत रूपरेखा साझा की। उन्होंने कहा कि एम्स इस दिशा में हर संभव सहयोग करेगा।

बैठक में हेल्थ फैसिलिटी मैपिंग, संवेदीकरण कार्यक्रम और तकनीकी नवाचार के जरिए उत्तराखंड में ट्रॉमा केयर सेवाओं को आधुनिक और प्रभावी बनाने की योजना बनाई गई। इस दौरान विभिन्न विभागों और संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें सेव लाइफ फाउंडेशन और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

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