लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्यावरण संरक्षण और अक्षय ऊर्जा के उपयोग को प्राथमिकता देते हुए जल जीवन मिशन को सौर ऊर्जा से संचालित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस पहल से न केवल ऊर्जा खपत में कमी आएगी, बल्कि पर्यावरणीय सुधार और सरकारी संसाधनों की बचत भी होगी। इससे जहां एक ओर प्रति वर्ष लगभग 13 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा, वहीं पारम्परिक बिजली आपूर्ति में हो रहे खर्च में कमी आएगी। इससे सरकारी खजाने में भी बढ़ोत्तरी होगी।

मुख्यमंत्री ने हाल ही में जल जीवन मिशन को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में अधिकारियों को बताया कि वर्तमान में प्रदेश में जल जीवन मिशन की कुल 40,951 योजनाएं संचालित हैं। इसमें फेज-एक के तहत सतही भूजल स्त्रोत आधारित 204 योजनाएं, विद्युत आधारित भूजल 7,504 योजनाएं, फेज-चार के तहत सतही स्त्रोत आधारित 14 योजनाएं और सौर ऊर्जा आधारित भूजल की 33,229 योजनाएं शामिल हैं। योगी सरकार द्वारा जल जीवन मिशन की 33,229 योजनाओं को संचालन होने से प्रदेश सरकार को योजना काल में लगभग एक लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। मिशन की 33,229 योजनाओं को सौर ऊर्जा से संचालित करने के लिए लगभग 900 मेगावाट के सोलर पैनल लगाए गए हैं। केंद्र सरकार द्वारा इस इनोवेशन को बेस्ट प्रेक्टिसेज के रूप में चिह्नित किया गया है। सौर ऊर्जा आधारित योजनाओं के निर्माण से प्रतिवर्ष लगभग 13 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2)का उत्सर्जन कम होगा। वहीं अगले 30 वर्षों में 390 लाख कार्बन क्रेडिट आर्जित किया जा सकेगा।

केंद्र सरकार ने योगी सरकार की इस अभिनव पहल को बेस्ट प्रैक्टिसेज के रूप में चिह्नित किया है। यह पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बन गया है, जो अन्य राज्यों को भी अक्षय ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश न केवल जल जीवन मिशन के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभा रहा है। सौर ऊर्जा आधारित योजनाएं न केवल ऊर्जा की लागत कम कर रही हैं, बल्कि प्रदेश को एक "ग्रीन स्टेट" के रूप में उभरने में मदद कर रही है।

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