सात साल बाद फिर खुली फाइल, तृणमूल नेता हमीद अंसारी हत्याकांड में पुलिस को बड़ा सुराग
सात
वर्ष पुराने तृणमूल नेता हमीद अंसारी हत्याकांड की फाइल एक बार फिर खुल गई
है। पुरुलिया जिला पुलिस ने इस मामले को पुनः जांच के लिए रि-ओपेन कर दिया
है, क्योंकि आद्रा तृणमूल अध्यक्ष धनंजय चौबे हत्याकांड में गिरफ्तार
पूर्वी भारत के कुख्यात अपराधी पिंटू घोष उर्फ दीपंकर घोष उर्फ ‘घोष दा’ और
उसके साथी जुगनू सिंह से पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई
हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इन्हीं सुरागों के आधार पर हमीद अंसारी समेत
आठ हत्याओं की गुत्थी सुलझने लगी है।
हमीद अंसारी पुरुलिया जिले के
काशीपुर ब्लॉक तृणमूल युवा अध्यक्ष थे। फुटबॉल मैदान से राजनीति में आए
हमीद ने कुछ ही वर्षों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी और आद्रा रेलशहर पर
नियंत्रण की कोशिश में सक्रिय थे। बताया जाता है कि रेल और कोल सिंडिकेट
में प्रभुत्व को लेकर उनका विवाद बढ़ता जा रहा था। यही टकराव उनकी हत्या का
कारण बना। वर्ष 2018 में सबूतों के अभाव में आद्रा थाना कांड संख्या
103/18 में पुलिस ने एफआरटी (फाइनल रिपोर्ट ट्रू) दाखिल कर केस बंद कर दिया
था।
पुलिस की जांच में सामने आया है कि उत्तर प्रदेश के तीन सुपारी
किलरों को स्थानीय राजनीति से जुड़े एक व्यक्ति के परिजन ने पहचान करवाकर
हमीद की हत्या करवायी थी। पुलिस अब इस पहलू की गहराई से जांच कर रही है।
पुरुलिया
के पुलिस अधीक्षक अभिजीत बंद्योपाध्याय ने बताया कि वर्ष 2004 से 2018 के
बीच आद्रा रेलशहर में सिंडिकेट वर्चस्व को लेकर हुए कुल आठ हत्याकांडों की
कड़ियां अब खुलने लगी हैं। इनमें से छह मामलों में एफआरटी दर्ज हो चुका था।
पिंटू घोष लगभग सभी मामलों में शामिल पाया गया है, जबकि जुगनू सिंह पर
लक्ष्मण प्रसाद और हमीद अंसारी हत्याकांड में सीधी भूमिका का आरोप है।
सूत्रों
के अनुसार, पुलिस अब हमीद अंसारी हत्याकांड के साथ-साथ चार अन्य पुराने
मामलों को भी पुनः खोलेगी। साथ ही चार दिसम्बर 2015 को आद्रा के सीनियर
डीएमएफएस अनूप सरकार को दी गई धमकी के मामले की भी दोबारा जांच की तैयारी
है।
पुलिस का दावा है कि नए सुरागों से रेलशहर आद्रा में डेढ़ दशक से चली आ रही हिंसक सिंडिकेट राजनीति की परतें अब साफ होती जा रही हैं।















