कोलकाता, । भारत की पहली मेट्रो सिटी कोलकाता अब सबसे तेज़ी से विस्तार पाता हुआ नेटवर्क बनने की दिशा में बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस पूजा से पहले कोलकातावासियों को 13.62 किलोमीटर की नई मेट्रो लाइन का तोहफा देंगे। मेट्रो रेलवे ने मंगलवार शाम बयान जारी कर बताया कि तीन अहम रूट- ग्रीन लाइन (एस्प्लेनेड–सीलदह), येलो लाइन (नॉआपाड़ा–जय हिंद विमानबंदर) और ऑरेंज लाइन (हेमंत मुखोपाध्याय–बेलियाघाटा) यात्रियों के लिए खोले जाएंगे। इससे हावड़ा मैदान से लेकर साल्ट लेट तक और दक्षिणेश्वर से लेकर दक्षिण कोलकाता के चप्पे-चप्पे तक महानगर कोलकाता मेट्रो से जुड़ जाएगा। 22 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसका उद्घाटन होना है।

यह केवल बुनियादी ढांचे का विस्तार नहीं बल्कि कोलकाता की जीवनशैली में बड़ा बदलाव लाने वाली पहल मानी जा रही है। दशकों से यातायात जाम, भीड़भाड़ और खासकर दुर्गा पूजा के समय की अव्यवस्था झेलने वाले शहर के लिए यह नया नेटवर्क एक तरह का “त्योहारी तोहफ़ा” साबित होगा।

1984 से 2014 : धीमी रफ्तार, 2014 के बाद तेज़ प्रगति

रेलवे ने अपने बयान में बताया है कि कोलकाता ने 1984 में भारत की पहली मेट्रो सेवा शुरू कर देश को गौरव दिया था। लेकिन उसके बाद तीन दशकों तक रफ्तार बेहद धीमी रही। 1984 से 2014 तक केवल 27.99 किलोमीटर मेट्रो ट्रैक बिछ पाया।

वहीं, पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 45 किलोमीटर नया नेटवर्क जुड़ा है, जो पिछले 30 साल के मुकाबले 161 फीसदी अधिक है। यही कारण है कि अब कोलकाता न केवल “पहली मेट्रो सिटी” कहलाता है बल्कि “सबसे तेज़ी से बढ़ता मेट्रो नेटवर्क” भी बनने की ओर है।

तीन नई लाइनों का महत्व

ग्रीन लाइन (एस्प्लेनेड–सियालदह) : यह रूट कोलकाता की दो अहम धड़कनों को जोड़ेगा। जहां पहले सड़क मार्ग से एक घंटे तक लगते थे, वहीं अब मेट्रो से सफर 11 मिनट में पूरा होगा। इससे प्रतिदिन करीब छह लाख यात्रियों को लाभ होगा।

येलो लाइन (नॉआपाड़ा–जय हिंद हवाई अड्डा) : लंबे समय से कोलकातावासियों की एयरपोर्ट तक सीधी मेट्रो की मांग अब पूरी होगी। एस्प्लेनेड से नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा तक का सफर, जो सड़क से लगभग एक घंटे में होता था, अब केवल 30 मिनट में पूरा होगा। यात्रियों, एयरपोर्ट कर्मचारियों और परिवारों के लिए यह बड़ी राहत होगी।

ऑरेंज लाइन (हेमंत मुखोपाध्याय–बेलियाघाटा) : इस रूट से साइंस सिटी और बेलियाघाटा के पास स्थित प्रमुख अस्पतालों तक पहुंच आसान होगी। मरीजों और उनके परिजनों के साथ-साथ छात्रों और नौकरीपेशा लोगों को भी लाभ मिलेगा। भविष्य में यही लाइन आईटी हब सॉल्ट लेक सेक्टर V से जुड़कर युवा पेशेवरों को बेहतर सुविधा देगी।

ट्रैफिक जाम और प्रदूषण से राहतः रेलवे ने बताया है कि कोलकाता की बड़ी चुनौती हमेशा से ट्रैफिक जाम रही है। सियालदह फ्लाईओवर, ईएम बाईपास और एयरपोर्ट रोड जैसे इलाकों में भीड़भाड़ आम बात है। नई मेट्रो लाइनें न केवल सड़क यातायात का बोझ घटाएंगी बल्कि प्रदूषण और यात्रा से जुड़ा तनाव भी कम करेंगी। पूजा जैसे त्योहारों में जब लाखों लोग शहर की गलियों में उतरते हैं, तब यह मेट्रो नेटवर्क ‘जाम-मुक्त यात्रा’ का भरोसा देगा।

कुल मिलाकर कहें तो नई लाइनों के शुरू होने से यात्रियों को रोज़ाना कई घंटे की बचत होगी। उदाहरण के लिए, एस्प्लेनेड से हावड़ा मैदान तक का सफर, जो सड़क से लगभग 20 मिनट में तय होता था, अब मेट्रो से केवल पांच मिनट में पूरा होगा। इसका सीधा असर लोगों की जीवनशैली पर पड़ेगा-परिवार, पढ़ाई और काम के लिए अधिक समय मिलेगा।

स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावाः मेट्रो के विस्तार से केवल यात्रियों को ही लाभ नहीं होगा बल्कि शहर की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। दमदम, गरियाहाट, पार्क स्ट्रीट और एस्प्लेनेड जैसे इलाकों में कारोबार और रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे। स्टेशनों के आसपास छोटे दुकानदारों और कारोबारियों को अतिरिक्त ग्राहक मिलेंगे, वहीं बेहतर कनेक्टिविटी के कारण उद्योग और निवेश भी आकर्षित होंगे।

कोलकाता मेट्रो अब केवल एक परिवहन साधन नहीं, बल्कि पूरे शहरी ढांचे का हिस्सा बन चुकी है। दमदम, सियालदह और हावड़ा जैसे इंटरचेंज स्टेशनों से यह उपनगरीय रेल और अन्य सार्वजनिक परिवहन से जुड़कर यात्रियों को बहुस्तरीय और निर्बाध सफर का अनुभव कराती है।

कोलकाता का गौरव, कोलकाता का क्षणः 1984 में शुरू हुई मेट्रो सेवा पीढ़ियों की पहचान और गौरव रही है। अब दशकों बाद शहर फिर एक नए गौरव अध्याय में प्रवेश कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह तोहफ़ा केवल यात्रा को आसान नहीं बनाएगा, बल्कि कोलकातावासियों को दिलों से जोड़ने वाला सफर साबित होगा।

दुर्गा पूजा के अवसर पर जब पूरा शहर उमंग और भक्ति में डूबा होगा, तब यह नई मेट्रो कनेक्टिविटी “सिटी ऑफ़ जॉय” के नाम को और सशक्त करेगी।----------------