मुझे किस आधार पर पार्टी से निकाला, पार्थ ने जेल से रिहा होते ही ममता को लिखा पत्र
कोलकाता,। पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल
कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव पार्थ चटर्जी ने जेल से रिहा होते ही तृणमूल
कांग्रेस में अपनी सक्रियता बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है। मंगलवार रात को
पार्टी सुप्रीमो एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर अपनी पार्टी
से निलंबन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने यह भी पूछा है कि किन प्रावधानों के
तहत उनकी मूल सदस्यता तत्काल प्रभाव से निलंबित की गई थी।
चटर्जी को
मंगलवार को न्यायिक हिरासत से तीन वर्ष तीन माह बाद जमानत पर रिहा किया
गया। उसी दिन उन्होंने यह पत्र ममता बनर्जी के अलावा पार्टी के अखिल भारतीय
महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी तथा राज्य अध्यक्ष सुब्रत बक्सी को
भी भेजा। पार्थ चटर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के संविधान की उन धाराओं का
उल्लेख करने को कहा है जिनके तहत उन्हें पार्टी से निलंबित किया गया।
उल्लेखनीय है कि जुलाई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा करोड़ों
के शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तारी के बाद तृणमूल कांग्रेस
ने न केवल चटर्जी को मंत्री पद और सभी संगठनात्मक जिम्मेदारियों से मुक्त
किया था, बल्कि उन्हें अनिश्चितकाल के लिए पार्टी सदस्यता से भी निलंबित कर
दिया था। यहां तक कि पार्टी ने महासचिव का पद भी समाप्त कर दिया था, जो
पहले पार्थ चटर्जी के पास था।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, जेल में
लंबे समय तक रहने के बावजूद चटर्जी के कुछ पुराने करीबी नेताओं ने संपर्क
बनाए रखा था। उनका कहना है कि पत्र में चटर्जी ने यह भी लिखा है कि अतीत
में जब अन्य तृणमूल नेताओं को केंद्रीय एजेंसियों ने गिरफ्तार किया था, तब
पार्टी नेतृत्व ने उनके साथ खड़ा रहकर समर्थन दिया था, लेकिन उनके मामले
में अपवाद रखा गया।
रिहाई के बाद पार्थ चटर्जी ने अपने राजनीतिक
भविष्य को लेकर उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि वे अब अपने विधानसभा क्षेत्र
बेहाला (पश्चिम) के लोगों के पास जाएंगे, जहां वे 2001 से लगातार पांच बार
विधायक रहे हैं, और उनसे राय लेंगे।
उन्होंने कहा कि मैं केवल
बेहाला (पश्चिम) सीट के लोगों के प्रति जवाबदेह हूं। उन्होंने कभी मेरी
ईमानदारी पर सवाल नहीं उठाया। मैं उन्हीं के पास जाऊंगा और न्याय की मांग
करूंगा। मुझे देश की न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। सच अंततः सामने
आएगा।















